बच्चों को सुलाने के लिए लोरी सुनाई जाती है। यह सदियों पुरानी परंपरा है और 100% सक्सेसफुल ट्रिक है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बच्चे को लोरी उसकी मां सुना रही है या मौसी। आइए पता लगाते हैं की लोरी सुनने के बाद बच्चे को नींद क्यों आ जाती है।
लोरी के मामले में एक और खास बात यह है कि उसे बार-बार सुनने के बाद भी बच्चा बोर नहीं होता बल्कि हर बार उसकी नींद कुछ सेकेंड पहले लग जाती है। एक लोरी गीत को बच्चा वर्षों तक सुन सकता है और आनंद पूर्वक अपनी पूरी नींद ले सकता है। इसके पीछे कई तरह के तर्क दिए जाते हैं परंतु बात जब साइंस की आती है तो चीजों को प्रमाणित करना होता है।
दरअसल बात सिर्फ लोरी की नहीं है बल्कि संगीत की है। संगीत का मनुष्य के मन ही नहीं बल्कि शरीर से भी काफी गहरा रिश्ता होता है। यदि आप नियमित रूप से प्रतिदिन 30 मिनट अपना पसंदीदा संगीत सुनते हैं तो बीमारी की अवस्था में दवाइयां ठीक प्रकार से काम करने लगती हैं और आप अपेक्षाकृत जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं। महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का मानना है कि संगीत को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना देना चाहिए। संगीत से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। शरीर के दर्द (जोड़ों के दर्द, पेट दर्द और मांसपेशियों का दर्द) कम हो जाते हैं। याददाश्त बढ़ जाती है। एंग्जाइटी की स्थिति में यदि आप 2 घंटे की मसाज नहीं ले सकते तो 45 मिनट संगीत सुनिए।
आश्चर्यजनक बात यह है कि संगीत की धुन से हृदय की गति यानी हार्टबीट सिंक हो जाती है। यदि आप डीजे पर कोई डांसिंग नंबर सुन रहे हैं आपकी हार्टबीट बढ़ जाएगी। यदि आपको मधुर संगीत सुन रहे हैं तो आप की हार्टबीट स्लो हो जाएगी। लोरी का संगीत हमेशा स्लो होता है। इसलिए हार्ट बीट स्लो हो जाती है और नींद आ जाती है।
यह चमत्कार केवल लोरी से ही नहीं होता बल्कि गजल और शास्त्रीय संगीत से भी होता है। इसीलिए तो बुजुर्ग रात के समय मधुर संगीत सुनना पसंद करते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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