GWALIOR हाईकोर्ट से विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को राहत

Bhopal Samachar
ग्वालियर।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को राहत प्रदान की है जिनके खिलाफ एकल पीठ ने लोकायुक्त को FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट ने आरोपी अधिकारियों को दोषमुक्त नहीं किया है बल्कि शासन को आदेशित किया है कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाए। मामला सन 1997 का है। एकल पीठ ने 2019 में आदेश दिया था। युगल पीठ ने 2022 में आदेश निरस्त कर दिया।

हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 13 दिसंबर 2019 को आदेश दिया था कि एक गरीब किसान की जमीन हड़पने की साजिश दिख रही है। ग्राम मऊ के किसान कमल सिंह से जो अनुबंध किया गया था, वह नियमानुसार नहीं था। लोकायुक्त इस मामले में FIR दर्ज करे। जमीन हड़पने में GDA के कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ बिना दबाव के जांच की जाए। उसके बाद दोषियों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई की जाए। 

इस आदेश को जीडीए, कमल सिंह, 21वीं सदी गृह निर्माण समिति ने रिट अपील दायर कर चुनौती दी थी। जीडीए की ओर से अधिवक्ता राघवेंद्र दीक्षित ने तर्क दिया कि समिति अध्यक्ष से अनुबंध के अनुसार भूमि राजस्व अभिलेख में प्राधिकरण के नाम से कराने के लिए कहा गया था। प्राधिकरण ने समिति को एक माह के भीतर भूखंडों की राशि 8 करोड़ 19 लाख 85 हजार जमा करने के लिए बोला एवं एक माह में उक्त राशि जमा न करने की स्थिति में समिति के खिलाफ प्राधिकरण द्वारा आपराधिक प्रकरण पंजीबद्घ कराने के लिए आदेशित किया था।

यह है मामला

21वीं सदी गृह निर्माण सहकारी समिति ने किसान कमल सिंह से 1997 में 20 बीघा जमीन का अनुबंध किया था। इस अनुबंध के चार दिन बाद समिति ने जीडीए से जमीन का अनुबंध कर लिया। समिति, कमल सिंह व जीडीए के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध हो गया। त्रिपक्षीय अनुबंध में तय हुआ किजीडीए जो जमीन विकसित करेगी, उसके 25 फीसदी प्लाट समिति को देगी, लेकिन जीडीए ने समिति को प्लाट न देते हुए किसान को दे दिए। जीडीए ने समिति को 8 करोड़ 19 लाख 85 हजार का नोटिस दिया था। जिसको लेकर समिति ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने एफआइआर के आदेश दिए थे।

कोर्ट ने यह दिए हैं आदेश
- जीडीए ने समिति से वर्तमान कलेक्टर दर से मांगी गई राशि 8 करोड़ 19 लाख 85 हजार रुपये को विधि संगत मानते हुए यथावत रखा है। जीडीए अपने पैसे वापस ले सकती है।
-प्राधिकरण की महाराजपुरा की आवास योजना को ग्राम निवेश अधिनियम के तहत विधि संगत मानते हुए योजना को निरंतर जारी रखने का अदेश दिया है।
- 1997 में अनुबंध हुआ था तब के अधिकारियों की भूमिका की जांच शासन करेगा। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.

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