राजकुमार अहिरवार। शासन के लिए काम करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनके पद एवं योग्यता के अनुसार वेतन दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें महंगाई भत्ता भी दिया जाता है। तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता एक संवेदनशील और राहत कार्य निर्णय कहा जा सकता है लेकिन जिन अधिकारियों का मूल वेतन उनके परिवार की जरूरत से ज्यादा है उन्हें महंगाई भत्ता देने की क्या आवश्यकता है। अनावश्यक खर्चा बंद किया जाना चाहिए।
पुलिस डिपार्टमेंट में सिपाही को गश्त करने के लिए साइकिल भत्ता दिया जाता है लेकिन इंस्पेक्टर को गश्त करने के लिए सरकारी वाहन दिया जाता है। इसलिए उसे साइकिल भत्ता नहीं दिया जाता। यह व्यवस्था सभी विभागों में लागू होना चाहिए। तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का मूल वेतन इतना कम होता है कि बढ़ती हुई महंगाई के सामने परिवार का गुजर-बसर मुश्किल हो जाता है। ऐसे कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देना एक संवेदनशील और राहत कार्य कदम है।
लेकिन बड़े अधिकारी जिनका मूल वेतन आयकर की निर्धारित न्यूनतम सीमा से अधिक है, उन्हें महंगाई भत्ता देने की क्या आवश्यकता है। यह सरकारी खजाने से किया जाने वाला अनावश्यक खर्चा है। अधिकारियों को सरकारी आवास, सरकारी वाहन और सरकारी नौकर चाकर उपलब्ध कराए जाते हैं। तृतीय श्रेणी कर्मचारी को बर्तन वाली घरेलू सहायक का वेतन अपनी जेब से देना होता है जबकि अफसरों के बर्तन मांजने वालों को सरकार की तरफ से वेतन मिलता है।
जब सरकार की तरफ से इतनी सुविधाएं दी जा रही हैं तो फिर इन बड़े अफसरों को महंगाई भत्ता क्यों दिया जाता है। इसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए। गरीबों से जीएसटी वसूल कर बड़े अफसरों पर बेवजह के खर्चे अब सहन नहीं किए जा सकते, क्योंकि पिछले 2 सालों में लोगों की इनकम नहीं बढ़ी है जबकि खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं। इस पत्र के लेखक हैं: राजकुमार अहिरवार।
उससे बड़ा मुद्दा तो सांसद और विधायकों की पेंशन है
इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए श्री राकेश पांडे (pandeyrakesh854@gmail.com) ने लिखा है कि मंहगाई भत्तो को बन्द ही नहीं और अन्य भत्तों में भी कटौती कर सरकारी खजाने पर बोझ कम कर सकतीं हैं। मेरा सबसे बड़ा मुद्दा सांसदों और विधायकों की पेंशन को लेकर है और अन्य खर्चों को काटकर हजारों करोड़ों की बचत की जा सकती है।
वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं होती इसलिए महंगाई भत्ता मिलता है
Mukesh Nomad (hrisha06@gmail.com) ने ईमेल करके बताया कि जिसे महंगाई भत्ता कहा जा रहा है, दरअसल वह वार्षिक वेतन वृद्धि है। प्राइवेट सेक्टर में हर साल सैलरी इंक्रीमेंट लगता है। शासकीय सेवाओं में महंगाई भत्ता के माध्यम से वेतन बढ़ा दिया जाता है। गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में सैलरी में जितने भी अलाउंस प्रदर्शित किए जाते हैं। वह सभी टैक्स बचाने के लिए किए जाते हैं।
DA to officer. It is written for d a ,must not b given to officer.I m also absolutely agree with the writer and it is demand of time.Central govt.should take steps for it. Raj Kumar Srivastava (rajcourts@gmail.com)
इसके अतिरिक्त प्राप्त अन्य प्रतिक्रियाएं या तो विषय का समर्थन कर रहीं थीं या फिर प्रतिक्रियाओं के समान थीं।
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