मध्य प्रदेश का इंदौर शहर कारोबार के लिए जाना जाता है। यहां सदियों से बड़े पैमाने पर व्यापार होता है परंतु शर्मनाक बात यह है कि पिछले कुछ सालों में इस शहर में चिकित्सा सेवा भी धंधा बन गई है। हाल ही में एक विज्ञापन पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें एजेंटों को ऑफर किया गया है कि यदि 26 जनवरी तक 5 मरीजों को भर्ती करवाते हैं तो उन्हें इनाम में एक्टिवा दी जाएगी। इन गंदे विचारों के बीच इंदौर शहर में दो अस्पताल ऐसे हैं जहां आज भी चिकित्सा एक सेवा है और मरीज के इलाज को प्राथमिकता दी जाती है।
पत्रकार श्री कुलदीप भावसार की एक रिपोर्ट के अनुसार 105 साल पहले स्थापित हुआ राबर्ट नर्सिंग होम और 100 साल पहले स्थापित मिशनरी अस्पताल में न्यूनतम शुल्क पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन दोनों अस्पतालों का संचालन बिना किसी सरकारी मदद की किया जा रहा है। बताया गया है कि इंदौर शहर में 1902 से 1911 के बीच महामारी का प्रकोप हुआ था। उस समय इलाज के लिए मुंबई से डॉक्टरों को बुलाया गया था जिन्होंने अस्थाई कैंप लगाकर मरीजों का इलाज किया था। इसी संकटकाल में सन 1906 में राबर्ट नर्सिंग होम की स्थापना की गई। इस अस्पताल का संचालन करने वाली कमेटी में 14 सदस्य हैं। सभी गणमान्य और सम्मानित डॉक्टर, वकील और उद्योगपति हैं।
1891 में स्थापित मिशनरी अस्पताल की बिल्डिंग भले ही पुरानी हो गई लेकिन सेवा का जज्बा आज भी कायम है। यह अस्पताल जीपीओ चौराहे पर स्थापित हुआ था लेकिन होलकर शासन द्वारा जमीन उपलब्ध कराने के बाद यह छावनी क्षेत्र में शिफ्ट हो गया। करीब 130 साल से अस्पताल न्यूनतम शुल्क में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है।अस्पताल में जनरल मेडिसीन और सर्जरी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया indore news पर क्लिक करें.