जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि बुरहानपुर शहर में बोरवेल खनन के दौरान गड़बड़ी की गई जिसके कारण कई बोरवेल में पानी नहीं निकला। याचिकाकर्ता ने इसे एक घोटाला बताया था परंतु उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि बोरवेल में पानी निकलना या ना निकलना संयोग पर निर्भर है। इसे भ्रष्टाचार नहीं माना जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने कहा कि जमीन के नीचे पानी मिलना व मिलना संयोग की बात है। लिहाजा, बुरहानपुर में खोदे गए बोरवेल फेल होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका निरस्त की जाती है। महाजनपेठ बुरहानपुर निवासी बालचन्द शिंदे की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया कि बुरहानपुर में पीने के पानी का भीषण संकट है। इसे दूर करने के लिए सागर प्राणलाल पटेल कम्पनी को शहर में सामान्य व ग्रेवल पैक्ड बोरवेल खोदने का ठेका दिया गया। कम्पनी ने बोरवेल खोदे भी। लेकिन कुछ बोरवेल में पानी ही नही निकला। जबकि कई बोरवेल में थोड़ा बहुत पानी निकला, जो किसी काम मे नहीं लाया जा सका।
बड़ी संख्या में बोरवेल खोदे जाने के बावजूद शहर में पानी का संकट बरकरार है। बहस के दौरान दलील दी गई कि बोरवेल खोदने के काम मे मिलीभगत से अनियमितता की गई है। लिहाजा, ठेके को निरस्त कर भुगतान की गई रकम वसूल की जाए। साथ ही मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना कि जमीन के अंदर पानी न निकलने से यह नहीं माना जा सकता कि बोरवेल नहीं खोदे गए। कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी। राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने रखा। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.