जबलपुर। मध्यप्रदेश में बिना वेरीफिकेशन के ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता लेकिन जबलपुर में बिना वेरिफिकेशन के प्राइवेट अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गई। इस मामले में एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई है। उच्च न्यायालय ने सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
प्राइमरी स्कूल को भी मान्यता देने से पहले उसका भौतिक सत्यापन किया जाता है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जबलपुर शहर में बड़े पैमाने पर प्राइवेट अस्पतालों को संचालन की स्वीकृति दे दी गई जबकि उनका भौतिक सत्यापन नहीं किया गया था। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की। जनहित याचिका लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विशाल बघेल की ओर से दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि प्राइवेट अस्पताल संचालन के लिए बड़े पैमाने पर अनुमति प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए उनका भौतिक सत्यापन नहीं किया जा रहा है। उक्त अस्पताल के पास खुद की बिल्डिंग है या नहीं, आग से बचाव की क्या व्यवस्था है, स्टाफ की क्या स्थिति इस संबंध में जांच किए बगैर ही उनके संचालन की अनुमति प्रदान की जा रही है, जो कि अवैधानिक है।
मामले में मप्र शासन के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर हेल्थ सर्विस, रीजनल डायरेक्टर हेल्थ सर्विस, मेयर नगर निगम को पक्षकार बनाया गया है। मामले की सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित सेठ ने पक्ष रखा। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया jabalpur news पर क्लिक करें.