न्यायालय द्वारा दण्ड कद दो प्रकार के मामले की सुनवाई की जाती है एक सिविल मामलों में दूसरा दाण्डिक अपराध के मामलों में। आज हम बात कर रहे हैं सिविल मामले के अपराध के संबंध में। क्या कोई आरोपी सिविल मामले में यह कहकर बच सकता है कि वह चरित्र से बहुत अच्छा है और उस पर लगाए गए अपराध सही नहीं है। जानते हैं आरोपी का चरित्र अच्छा होने का कारण न्यायालय उस पर विश्वास करता है या नहीं।
साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 52 की परिभाषा:-
किसी भी सिविल मामलो में आरोपी व्यक्ति के वर्तमान या पहले के चाल-चलन या चरित्र, आचरण बताकर यह यह साबित नहीं किया जा सकता है कि वह ऐसा कोई अपराध नहीं कर सकता है या उसके द्वारा ऐसा अपराध करना संभावित था। ऐसा साक्ष्य देना उपर्युक्त धारा के अंतर्गत अवैध या विसंगत होगा।
अर्थात कोई आरोपी व्यक्ति यह नहीं कह सकता की वह संविदा भंग करके किसी के पैसे खा सकता है क्योंकि वह एक इज्जतदार एवं पैसे वाला व्यक्ति हैं एवं उसका चरित्र (आचरण) किसी भी प्रकार से खराब नहीं है। न्यायालय ऐसे कथन को अवैध कर देगा एवं सिर्फ तथ्यों के आधार को देखेगा न कि व्यक्ति के चाल चलन को। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com