जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर कमिश्नर के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत उन्होंने आंगनवाड़ी सहायिका कौशल्या की नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। जस्टिस एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव, सहायक आयुक्त जबलपुर, अपर कलेक्टर नरसिंहपुर, एकीकृत बाल विकास सेवा के जिला कार्यक्रम अधिकारी और आंगनवाड़ी सहायिका इमरती घोषी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता आंगनवाड़ी सहायिका कौशल्या चढ़ार की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा व शिवम शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-2017 में सहायिकाओं की नियुक्ति हुई थी। याचिकाकर्ता कौशल्या दूसरे स्थान पर थी, जबकि इमरती घोषी को पहले स्थान पर होने से नियुक्ति दे दी गई। इमरती इसलिए पहले नंबर पर थी क्योंकि उसे बीपीएल के 10 नंबर मिले थे।
नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद पता चला कि इमरती का बीपीएल कार्ड निरस्त हो चुका था। अतः उसे बीपीएल के 10 नंबर का अधिकार नहीं है। दूसरे नंबर पर कौशल्या ने जबलपुर कलेक्टर के सामने पूरा मामला प्रस्तुत किया। कलेक्टर ने दस्तावेजों के आधार पर इमरती की नियुक्ति निरस्त करते हुए दूसरे नंबर पर मौजूद कौशल्या को आंगनवाड़ी सहायिका पद पर नियुक्त कर दिया।
इधर कलेक्टर के डिसीजन के खिलाफ इमरती ने कार्यालय कमिश्नर जबलपुर संभाग में अपील दाखिल की। इमरती की ओर से दलील दी गई कि कौशल्या ने दावा प्रस्तुत करने में देरी कर दी है। इस आधार पर कमिश्नर जबलपुर संभाग द्वारा कौशल्य की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। कमिश्नर के फैसले के खिलाफ कौशल्या ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.