मध्य प्रदेश के कटनी जिले के 80 फीसदी शिक्षकों को सातवें वेतनमान के एरियर्स की दूसरी किश्त देने के बाद कोषालय अधिकारी ने अचानक 20 फीसदी के एरियर्स पर रोक लगा दी है। जारी आदेश में शिक्षकों वेतनमान के सत्यापन को अवैध बताते हुए इसे शून्य कर दिया गया है, जिससे आधा दर्जन संकुलों के करीब 600 शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है।
आश्चर्यजनक पहलू यह है कि जिस सत्यापन को शून्य करने की बात की गई उसी पर 80 फीसदी का भुगतान हो गया। इतना ही नही अभी भी चुन-चुनकर चिंहित कर भुगतान किया जा रहा है। इस संबंध शिक्षकों का आरोप है कि कोषालय में एरियर्स देने के पीछे आर्थिक हित साधने का खेल चल रहा है। आखिर जिला प्रशासन के द्वारा गठित दल से सत्यापन में एरियर्स को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाने से कोषालय अधिकारी की कार्यप्रणाली खुद सवालों के घेरे में है।
शिक्षा विभाग की भूमिका भी संदिग्ध
कोषालय से मनमाने ढंग से रोक लगाने के बाद शिक्षा विभाग ने अब तक निराकरण के लिए कदम नहीं उठाए। लिहाजा एरियर्स में सबसे ज्यादा हीलाहवाली और मनमानी करने वाले संकुलों ने भी मामले को ठंडे बस्ते में दबा रखा है। शिक्षक परेशान हैं, सर्विस बुक सत्यापन की जगह संकुलों में रखकर एरियस के लिए हीलाहवाली कर चक्कर लगवा रहे हैं।
जबकि शासन के द्वारा नवम्बर माह में सभी अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों को एरियर्स की दूसरी किश्त भुगतान के निर्देश थे। आंदोलन की चेतावनी अध्यापक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष रमाशंकर तिवारी ने आरोप लगाया है कि अनेकों बार अधिकारियों को ज्ञापन देकर निराकरण की मांग की गई है पर आज तक निदान नहीं हुआ है और न ही कोई कार्यवाई हुई है। जिले के पिपरौध वेंकटवार्ड, धरवारा, सिनगौडी, सिविल लाइन आदि अनेको संकुलों में चुन-चुनकर भुगतान हो रहा है। शीघ्र मनमानी पर अंकुश और भुगतान नहीं हुआ तो संगठन आंदोलन करेगा। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.