भोपाल। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। लोग अब केवल दुखी नहीं होते बल्कि संघर्ष करते हैं। पिछले 1 साल में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी शिकायतों में 289% की वृद्धि हुई है। जिन पर कार्रवाई हुई और भ्रष्ट अधिकारी या फिर कर्मचारी गिरफ्तार किया गया।
घूसखोरी के खिलाफ मध्य प्रदेश की जनता के सरकारी आंकड़े
मध्यप्रदेश शासन की विभागीय जांच और उनके परिणामों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली केवल दो एजेंसी लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। सन 2020 में सिर्फ 118 लोगों ने रिश्वतखोर अधिकारी अथवा कर्मचारी की ऐसी शिकायत की थी जिस पर कार्रवाई करते हुए आरोपी शासकीय सेवक को गिरफ्तार किया गया। सन 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 341 हो गया है। यानी पुख्ता सबूत के साथ की गई शिकायतों में 289 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा 250 सरकारी कर्मचारी अथवा अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया जबकि EOW द्वारा 91 लोक सेवकों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए।
जिला स्तर पर शिकायत केंद्र हो तो क्रांति आ जाएगी
यह सब कुछ तब हुआ है जबकि लोकायुक्त पुलिस अथवा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत करना एक मुश्किल प्रक्रिया है। मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में शिकायत करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। आम जनता को लोकायुक्त पुलिस अथवा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के ऑफिसों का पता नहीं है। यदि सरकार कोरोनावायरस या फिर स्वच्छता अभियान की तरह घूसखोरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला दे तो जितने मामले पूरे 1 साल में मध्यप्रदेश में सामने आए हैं, उतने मामले 1 जिले में आ जाएंगे।
2021 साल में मध्यप्रदेश के किस विभाग में कितने घूसखोर पकड़े
राजस्व विभाग 53 मामले
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग 32 मामले
नगरिया निकाय विभाग (नगर निगम एवं नगर पालिका) 21 मामले
पुलिस विभाग 16 मामले (जबकि लोग इस डिपार्टमेंट के अधिकारियों से डरते भी हैं)
वन विभाग 9 मामले
स्वास्थ्य विभाग 8 मामले
शिक्षा विभाग 8 मामले
सहकारिता विभाग 8 मामले
मध्य प्रदेश- किस जिले की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे जागरूक
इंदौर, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर, सागर, भोपाल, उज्जैन