भोपाल। मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री ने दबाव डालकर जिस इंजीनियर को बिना वजह सस्पेंड करा दिया था, हाईकोर्ट ने उस के पक्ष में प्रदेश सरकार पर ₹500000 की कॉस्ट लगा दी है।
मामला इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी का है। अशोक कुमार को उनके रिटायरमेंट के ठीक पहले अचानक सस्पेंड कर दिया गया था। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया गया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री ने एक शिकायत के आधार पर इंजीनियर इन चीफ की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच के दौरान पाया कि छगनलाल के नाम से किसी ने झूठी शिकायत की है। शिकायतकर्ता अपने पते पर नहीं मिला था।
जांच कमेटी ने इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी को क्लीन चिट दे दी थी। विभागीय मंत्री ने जांच में निर्दोष घोषित किए जाने के बावजूद इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी को सस्पेंड करवा दिया था। याचिका में इंजीनियर ने बताया कि 30 साल की सेवा में उन्हें एक भी नोटिस नहीं मिला। सस्पेंड करने से पहले भी ना तो नोटिस दिया गया और ना ही सुनवाई का अवसर दिया गया।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद मध्य प्रदेश राज्य सरकार पर ₹500000 की कॉस्ट लगा दी है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.