भोपाल। राज्य शासन द्वारा पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल की अध्यक्षता में राज्य पशु कल्याण सलाहकार मंडल का गठन किया गया है। केन्द्र शासन के दिशा-निर्देनुसार गठित मंडल में अध्यक्ष कार्य परिषद मध्यप्रदेश गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव पशुपालन सदस्य होगें। अन्य सदस्यों में विधायक, अशासकीय प्रतिनिधि और पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाएँ शामिल की गई है। समिति पशुओं के प्रति क्रूरता एवं बरताव के निवारण, पशुओं के परिवहन में उपयोग पशुओं के लिए शेड, पानी, चिकित्सा सहायता आदि के संबंध में राज्य सरकार को समय-समय पर सुझाव देगी।
विधायकों में श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर और श्री राम दांगोरे, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और वन, शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ), संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग, प्रबंध संचालक पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम और भारतीय वन जीव कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि को सदस्य नामांकित किया गया है।
अशासकीय सदस्यों में श्री कैलाश ललवानी गोपाल गौशाला नलखेड़ा जिला आगर-मालवा, श्री वैदपाल झा केदारधाम गौशाला एवं जैव कृषि अनुसंधान केन्द्र केदारपुर जिला ग्वालियर, श्री प्रमोद नेमा भोपाल, श्री जितेन्द्र नरोलिया इंदौर और श्री शंकर लाल पाटीदार कामधेनु सेवा संस्थान इमलिया जिला रायसेन शामिल हैं।
पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाओं में गौ सेवा आश्रम देवरी जिला मुरैना, एनिमल क्योर एण्ड केयर ग्वालियर, श्री गौस्वामी रामानंद गौशाला गुना, श्री कृष्ण गौशाला सेवा आश्रम कुसमानियाँ जिला देवास, एनिमल एण्ड एनवायरमेंट केयर ऑर्गनाइजेशन भोपाल, कामधेनु गौशाला भोपाल, श्री कृष्ण गौशाला एवं गौ-संवर्धन समिति सिरोंज, त्रिवेणी गौशाला बैतूल, श्री दयोदय पशुधन संरक्षण समिति हरदा और जन-जागरण एजूकेशनल एण्ड हेल्थ वेलफेयर सोसायटी मकरोनिया जिला सागर भी बोर्ड के सदस्य होगें।
मंडल के कार्य
पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 के उपबंधों का पर्यवेक्षण एवं प्रशासन को सलाह देना।
पशुओं के प्रति क्रूरता या बर्ताव के संबंध में शासन को सलाह देना।
पशुओं के परिवहन में उपयोग होने वाले यानों की संरचना में सुधार हेतु शासन, प्रशासन या यान स्वामी को सुझाव देना।
पशुओं के लिए शेड, पानी, चिकित्सा सहायता हेतु निर्णय लेना।
पशुवध गृहों की संरचना, रख-रखाव के संबंध में शासन और स्थानीय प्रधिकरणों को अवश्यक सुझाव देना।
अवारा पशुओं को पकड़ते समय उन्हें यातना और दर्द से निजात दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
असहाय, वृद्ध पशुओं और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा करने वाली संस्थाओं को पिंजरा, बल्लियाँ, आश्रय स्थल के निर्माण आदि के लिए आवश्यक अनुदान उपलब्ध कराना।
पशु क्रूरता निवारण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को अवश्यक सहयोग देना।
पशुओं को समान्यत: दी जाने वाली अनावश्यक यातनाओं के विरूध लोगों को जागरूक करना और पशुओं के स्वास्थ्य संरक्षण के संबंध में राज्य शासन को सुझाव देना शामिल है।