जबलपुर। ग्राम पंचायत जेराखस के ग्राम रोजगार सहायक अखंड प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने निवाड़ी के कलेक्टर के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसके तहत सहायक सचिव की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। कोर्ट ने उन्हें अपने जॉब पर वापस ज्वाइन करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रभांशु कमल ने न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के सामने अपना पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर ग्राम रोजगार सहायक अखंड प्रताप सिंह की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। जबकि कार्रवाई में जिन लोगों के हलफनामे शामिल किए गए हैं, उन्होंने कोई शिकायत ही नहीं की थी। कमिश्नर के निर्देश पर निवाड़ी जिले के कलेक्टर सह जिला कार्यक्रम समन्वयक ने अनाधिकृत तौर पर कार्रवाई कर दी थी। क्योंकि ग्राम रोजगार सहायक की सेवाएं समाप्त करने का अधिकार कलेक्टर को है ही नहीं। यह अधिकार जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पास सुरक्षित है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए कहा कि दस्तावेजों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता को अनाधिकृत रूप से पद से हटाया गया है। शिकायत नहीं होने के बावजूद जांच की गई और हलफनामे शामिल किए गए। हाईकोर्ट ने कहा कि सक्षम अधिकारी याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है परंतु कार्रवाई से पहले उसे आरोपी कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का मौका देना पड़ेगा।