भोपाल। मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतों के मामले में सरकार की स्थिति उस बच्चे जैसी हो गई है जो स्लेट पर कुछ लिखता है और फिर मिटा देता है। चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसे स्थगित कर दिया गया। अब पूर्व सरपंच को वित्तीय अधिकार देने के बाद वह भी सस्पेंड कर दिए गए। बैंक खाते में किसके हस्ताक्षर मान्य होंगे इस पर फैसला पेंडिंग हो गया है।
मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद और मतदान के पहले चुनाव स्थगित कर दिए गए। इसके साथ ही आचार संहिता समाप्त हो गई। यह सब कुछ 27% ओबीसी आरक्षण के झगड़े में हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग से इंकार कर दिया। स्थिति स्पष्ट हो गई है कि मामला लंबा चलेगा। मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतों की संख्या 23,912 है। बड़ा प्रश्न यह था कि इतने समय तक ग्राम पंचायतों की व्यवस्था का संचालन कैसे होगा।
मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भाग्य विधाताओं ने पूर्व सरपंच को शामिल करते हुए प्रधान प्रशासकीय समिति की घोषणा कर दी एवं उसे वित्तीय अधिकार दे दिए। PRD- Panchayat and Rural Development, Madhya Pradesh का यह फैसला 2 दिन भी नहीं टिक पाया। आनन-फानन में आदेश वापस ले लिया क्या। 23912 ग्राम पंचायतें एक बार फिर लावारिस हो गईं। वित्तीय अधिकार किसके पास रहेंगे, इसका फैसला बाद में होगा।