भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार एक बार फिर से वापस कर दिए हैं। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि उनके दबाव के कारण मुख्यमंत्री को यह कदम उठाना पड़ा है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि 'शिवराज सरकार असमंजस में है कि पंचायतों को अधिकार दें या नहीं दें। अगर शिवराज सरकार की नीयत साफ होती तो माननीय कमलनाथ की सरकार द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों को जो अधिकार दिए गए थे, उन्हें वापस लेकर प्रशासक नियुक्त करने का काम शिवराज सरकार नहीं करती लेकिन उस समय भी कांग्रेस के दबाव में शिवराज सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। उसके बाद सरकार को दोबारा यही काम करना पड़ा है। पूर्व मंत्री एवं विधायक कमलेश्वर पटेल ने आज जारी एक बयान में यह बात कही।
श्री पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार का रवैया शुरू से असंवैधानिक और गांव विरोधी रहा है। माननीय कमलनाथ सरकार ने पहले ही पंचायत प्रतिनिधियों को वित्तीय और अन्य अधिकार दिए थे, लेकिन सत्ता में आते ही शिवराज सिंह चौहान सरकार ने यह अधिकार वापस ले लिए और प्रशासक नियुक्त कर दिए। कांग्रेस के दबाव के चलते कुछ दिन में शिवराज सरकार को यह फैसला पलटना पड़ा था। असल में पंचायत की जरूरतों और उसके संवैधानिक पहलुओं को शिवराज सिंह चौहान सरकार समझती ही नहीं है।
श्री पटेल ने कहा कि शिवराज सरकार ने पहले ऑर्डिनेंस लाकर कमलनाथ सरकार के समय किए गए परिसीमन, रोटेशन और आरक्षण को रद्द कर दिया। बाद में जब अदालत में यह साबित हो गया कि शिवराज सरकार का ऑर्डिनेंस असंवैधानिक था तो सरकार ने उस ऑर्डिनेंस को वापस ले लिया। अगर सरकार कमलनाथ सरकार द्वारा किए गए परिसीमन से चुनाव कराती तो यह समस्या उत्पन्न ही नहीं होती।
उन्होंने कहा की भाजपा सरकार पंचायत चुनाव के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि गलत तरीके से चुनाव कराने की कोशिश करने के कारण 2 महीने तक पंचायत प्रतिनिधि गांव के कोई भी काम नहीं कर सके। मनरेगा, पेयजल और अंत्योदय जैसी योजनाओं में कोई काम नहीं हो सका। इस तरह से गांव की जनता को उनके अधिकारों से वंचित किया गया।
उन्होंने कहा कि जब सरकार की नीयत स्पष्ट नहीं होती है तो वह बार-बार फैसले पलटती है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की भी यही स्थिति हो गई है। श्री पटेल ने कहा कि अब भी सरकार नया परिसीमन करा रही है, इससे चुनाव में विलंब ही होगा। जबकि कमलनाथ सरकार द्वारा कराया गया परिसीमन पर्याप्त था। अगर सरकारी धन की बर्बादी रोकनी है और पंचायत के चुनाव समय रहते कराने हैं तो शिवराज सरकार को कमलनाथ सरकार के प्रावधानों से ही चुनाव कराना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट कहा है कि भाजपा सरकार 2 महीने के भीतर आरक्षण और रोटेशन के साथ पंचायत चुनाव कराए।
श्री पटेल ने कहा कि शिवराज सरकार पहले दो बार पंचायतों को अधिकार देकर उनके अधिकार वापस ले चुकी है, ऐसे में यही उम्मीद की जा सकती है कि अब तीसरी बार सरकार इस तरह की हरकत नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार के फैसले को वापस अमल में लाकर शिवराज सरकार ने देर आयद दुरुस्त आयद वाला काम किया है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.