MP TET VARG 3 पार्ट-2: जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

Bhopal Samachar

Factors affecting the Cognitive Theory of Jean Piaget

जैसा कि हमने अपने पिछले आर्टिकल से जाना कि जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में से सबसे महत्वपूर्ण कारक है, सबके बीच संतुलन (Equillibrium Among All) परंतु इस प्रक्रिया या प्रोसेस को समझने से पहले हमें कुछ इंपॉर्टेंट टर्म्स को समझना होगा जो की इस प्रोसेस की स्टेप्स हैं जिसमें एडेप्टेशन, एसिमिलेशन, एकोमोडेशन, एक्विलिब्रियम, डिसएक्विलिब्रियम,आदि हैं। 

स्कीमा (Schema) क्या होता है

परंतु इन सब को समझने से पहले एक और इंपॉर्टेंट टर्म है जिसे समझना बहुत जरूरी है। जैसे किसी भी काम को करने के लिए हम कोई योजना बनाते हैं जिसे इंग्लिश में स्कीम (Scheme) कहा जाता है। जब बहुत सारे तरीके की स्कीम्स हमारे दिमाग में, सूचना या information के रूप में इकट्ठा हो जाती हैं, तो इन्हें स्कीमा (Schema) कहा जाता है। 

Schema किसे कहते हैं

स्कीमा (Schema) का अर्थ है वह इंफॉर्मेशन जो हमारे /बच्चे के दिमाग में पहले से ही stored है। जिसे इंग्लिश में Diagram, Outline, Model, Schets आदि है। यह आपस में मिलती जुलती इंफॉर्मेशन के सेट्स होते हैं। जैसे हम किसी बुक्शेल्फ में books को जमाते हैं तो एक से सब्जेक्ट की किताबों को एक साथ रखते हैं, अलग Subject की किताबों को अलग रखते हैं। इसी तरह से हमारे ब्रेन में भी कुछ ऐसी स्ट्रक्चर्स बनी हुई हैं। जिनमें कि सिमिलर इनफॉरमेशन स्टोर्ड होती हैं, जिन्हें Schema कहा जाता है। 

अनुकूलन या एडप्टेशन (Adaptation)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि अपने आप को किसी चीज के अनुकूल बनाना, जिससे कि हम हम अपने आसपास के वातावरण को आत्मसात (Assimilation) कर सकें और समायोजन (Accomodation) भी बनाया जा सके।  
जैसे - नागफनी का पौधा अपने आप को रेगिस्तान में रहने के अनुकूल बना लेता है, जब हम किसी दूसरे के घर जाते हैं तो उसके घर के वातावरण के हिसाब से अनुकूलित हो जाते हैं आदि इसके उदाहरण हैं। 

आत्मसातीकरण और समायोजन दोनों अनुकूलन का ही भाग भाग है। साधारण भाषा में कहें तो आत्मसात का अर्थ है चीजों को मिला लेना और समायोजन का अर्थ है एडजस्ट कर लेना। 

आइए इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। जिससे कि आपको आगे की दो प्रोसेस संतुलन (Equillibrium) और असंतुलन (Disequillibrium) भी समझ में आ जाएंगी। 

जैसे- एक बच्चे ने खिलौने वाला मोबाइल फोन देखा जिसमें छैया छैया छैया गाना बजता था, और यह इंफॉर्मेशन उसके दिमाग में स्टोर हो गई कि यह कोई छोटा सा खिलौना है जिसमें से की आवाजें आती हैं। यानी उसके ब्रेन में Schema बन गया. इसके बाद उसने अपने पापा या  मम्मी को छोटे कीपैड वाले मोबाइल पर बात करते देखा तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह क्या हुआ यह तो खिलौना था और खिलौने से कैसे बात कर सकते हैं तो वह कुछ समय के लिए असंतुलन (Disequillirium) की स्थिति में आ गया। 

फिर उसने अपने दिमाग के स्कीमा को चेक किया और उसमें नई इनफार्मेशन ऐड की, कि यह खिलौना तो है ही लेकिन इससे बात भी की जा सकती है। इस प्रकार उसने नई इनफार्मेशन को आत्मसात (Assimilate) किया और संतुलन की स्थिति में आ गया और अब वह समझ गया कि अच्छा! यह खिलौना भी होता है और यह बात करने के काम में भी आता है। यानी उसने अपने आप को समायोजित (Accomodate) कर लिया परंतु अब कुछ समय बाद उसने देखा कि इस मोबाइल में तो वीडियो गेम, म्यूजिक भी चल सकता है। अब वह फिर असंतुलन की स्थिति में आयेगा और अपने Schema में अपडेट करेगा, अब फिर से इस नई information को आत्मसात (Assimilate) करेगा और बैलेंस में आएगा और अपने आप को समायोजित (Accomodate)  करेगा यानी अपने आपको modify या update करेगा। 

फिर कोई नया बदलाव आने पर फिर से यही प्रोसेस होगी इस प्रकार अपने द्वंद से बाहर निकलकर, स्पष्टता की ओर चलता चलेगा और इसी तरह बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण करते जाते हैं। 
मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.

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