यह टॉपिक एमपी टेट वर्ग 3 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है. इसके अलावा और भी टीचिंग एग्जाम्स के लिए भी टॉपिक काफी महत्वपूर्ण है. अब हम इन चारों मनोवैज्ञानिकों के बारे में एक- एक करके डिटेल में पढ़ेगे.
जीन पियाजे ( Jean Piaget) -
जीन पियाजे को बाल मनोविज्ञान(Child Psychology) का फादर या जनक कहा जाता है. जो कि एक Swiss Psychologist होने के साथ साथ radical constructivism भी थे.उन्होंने विकास की अवस्थाओं पर भौतिक पर्यावरण(Physical Environment) के प्रभाव पर अधिक जोर दिया. उन्होंने बताया कि बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं और उन्होंने बच्चों को नन्हे वैज्ञानिक(Little Scientist) भी कहा.
जीन पियाजे ने एक बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को 4 अवस्थाओं में विभाजित किया है-
1. इंद्रिय जनित गामक अवस्था( Sensorimotor Stage)
2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था(Pre- Operational Stage)
3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था( Concrete- Operational Stage)
4. औपचारिक या अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था(Formal - Operational Stage)
3) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage)
यह लगभग 7 से 11 वर्ष तक की अवस्था होती है. इस अवस्था को सामान्यता उत्तर बाल्यावस्था (Later Childhood) या गैंग उम्र( Gang Age) भी कहा जाता है.इस उम्र में बच्चे अपने समूह के साथ रहना अधिक पसंद करते हैं. इस अवस्था में बच्चे अपने पर्यावरण के साथ अनुकूलन( Adaptation) करने के लिए कई तरीके के नियमों को सीख लेते हैं. भाषा का भी पूर्ण विकास हो जाता है.
इस अवस्था का सबसे प्रमुख गुण होता है कि बच्चे के विचारों में पलटने (Reversibility) का गुण आने लगता है जो की इससे पहले वाली यानी पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre Operational Stage) में नहीं आ पाता.
अब बच्चा मूर्त चीजें (जो उसके सामने हैं )उन्हें लेकर लॉजिक लगा लेता है और कई तरीके के रिलेशंस को समझने लगता है. अब उसका चिंतन और अधिक क्रमबद्ध और तर्कसंगत क्रमबद्ध और तर्कसंगत होना प्रारंभ हो जाता है. इसके साथ ही अब अब वह संरक्षण( Conservation) ,पहचानना (Differentiation) वर्गीकरण( Classification) , क्रमानुसार जमाना(Seriation) आदि भी सीख जाता है.
यानी अब बच्चा समझने लगता है की जितना जूस एक बड़े ग्लास में आता है उतना ही जूस एक छोटे कप में भी आ सकता है . यानी कि अब उसको समझ में आ जाता है की क्वांटिटी तो सेम ही है चाहे किसी भी बर्तन रख लें. यानी कि अब इस अवस्था में बच्चे को बेवकूफ बनाकर ज्यादा juice भी नहीं पिलाया जा सकता.