Concept Of Progressive Education
प्रगतिशील शिक्षा के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए सर्व शिक्षा अभियान, मध्यान्ह भोजन योजना, शिक्षा का अधिकार आदि महत्वपूर्ण कार्य किए गए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right To Education Act) प्रगतिशील शिक्षा के साथ-साथ शिक्षण शास्त्र का भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा (Pedalogical Issue) है। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में "निःशुल्क और अनिवार्य "शब्द सम्मिलित हैं। आरटीई को अपनाकर भारत विश्व का 135 वां देश बना जिसने देश बना जिसने शिक्षा को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) माना है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 / Right to Education Act, 2009
1.शिक्षा के अधिकार अधिनियम में वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21-क(21-A) भाग 3 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष से के माध्यम से 6 से 14 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था. यह मौलिक अधिकार के रूप में 6 से 14 वर्ष के आयु समूह में सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।
2. शिक्षा का अधिकार अधिनियम ,2009 राज्य परिवार और समुदाय की सहायता से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करता है। इसको प्रभावी बनाने के लिए 4 अगस्त 2009 को लोकसभा में अधिनियम पारित किया गया। जो कि 1 अप्रैल 2010 से पूरे देश में(jammu &Kashmir को छोड़कर )लागू हो गया।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु / Important Point of Right To Education Act
1. यह बच्चों के लिए किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना को प्रतिबंधित करता है.
2. माता-पिता या बच्चों के बच्चों के किसी भी प्रकार के इंटरव्यू को प्रतिबंधित करता है.
3. बिना अनुमति के विद्यालय चलाने को प्रतिबंधित करता है.
4. शिक्षकों द्वारा प्राइवेट ट्यूशन को प्रतिबंधित करता है.
5. 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निः शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है यानी सरकारी या ऐडेड स्कूल में बच्चों से किसी भी प्रकार की फीस नहीं ली जा सकती. EWS/BPL (Economically weaker Section / Below Poverty Line) के लिए 25 % सीटें Privat School में रिज़र्व रहेंगी.
6. बच्चों के लिए स्कूल एक निर्धारित क्षेत्र में होना निर्धारित क्षेत्र में होना चाहिए. Primary school, एक किलोमीटर के अंदर और upper primary school, तीन किलोमीटर के अंदर होना चाहिए.
7. इस अधिनियम मे PWDs(Persons with Disabilities Act) के अनुसार 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है.
8. आर्टिकल 51 A(k) के अनुसार अभिभावकों द्वारा बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराना अनिवार्य है.
9. कोई बच्चा यदि किसी भी कारण से स्कूल छोड़ देता है तो उसको उसको बाद मेंउसकी उम्र के हिसाब से सही कक्षा में एडमिशन देना देना अनिवार्य है.
10. यह अधिनियम कक्षा में छात्र -शिक्षक अनुपात, भवन और अवसंरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षक के कार्य के घंटों से संबंधित मानदंडों और मानकों को भी निर्धारित करता है.
11.No Detention policy यानि किसी भी बच्चे को 8 वीं क्लास तक फैल नहीं किया जायेगा. परंतु 2019 में इसमें संशोधन किया गया और ये अधिकार राज्य सरकार को दिया गया.
12. स्कूल बिल्डिंग में एक शिक्षक के लिए एक क्लास रूम तथा एक हेड टीचर के लिए रूम होना आवश्यक है, गर्ल्स बॉयज के लिए अलग-अलग टॉयलेट, मिड डे मील के लिए एक किचन, प्लेग्राउंड और पीने के लिए शुद्ध पानी होना आवश्यक है.
12. विभिन्न प्रकार के मैगजीन बुक्स ऑन न्यूज़पेपर के लिए लाइब्रेरी (पुस्तकालय)का होना जरूरी है.
13. खेलने के लिए खेल का मैदान, खेल की सामग्री होना आवश्यक है.
14 क्वालिफाइड टीचर्स का होना आवश्यक है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम की कमियाँ / Drawbacks of Right To Education Act
1. जिसमें 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के बारे में कोई बात नहीं की गई.
2. 14 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए कोई बात नहीं की गई.
एलिमेंट्री एजुकेशन का अर्थ होता है, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक को मिलाकर यानी 1st to 5th प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक 6th to 8th कहलाता है. आरटीई के अनुसार इसके लिए शिक्षक एवं विद्यार्थियों का अनुपात, कार्य करने के घंटे, कार्य दिवस आदि निर्धारित हैं।
प्राथमिक कक्षाओं पहली से पाँचवीं के लिए कितने शिक्षक होना जरूरी हैं/ Number of teachers for primary classes from 1st to 5th
60 बच्चों तक - 2 शिक्षक
61 से 90 बच्चों तक -3 शिक्षक
91 से 120 बच्चों तक - 4 शिक्षक
150 से अधिक बच्चों पर -5 शिक्षक + हैड मास्टर
शिक्षक और विद्यार्थियों का अनुपात 30: 01 रहेगा
परंतु यदि इससे बच्चों की संख्या 200 से अधिक है तो यह अनुपात 40: 01 रहेगा.
जबकि माध्यमिक कक्षाओं (6th to 8th) के लिए यह अनुपात 35:01 रहेगा
परंतु 40:01 से ऊपर नहीँ जाना चाहिए.
प्राथमिक कक्षाओं के लिए (1st to 5th)
अधिकतम कार्य दिवस 200 दिन से अधिक नहीं होने चाहिए
जबकि माध्यमिक कक्षाओं (6th to 8th )के लिए कार्य दिवस 220 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए.
प्राथमिक शिक्षक के लिए अधिकतम 800 घंटे जबकि माध्यमिक शिक्षक के लिए 1000 घंटे निर्धारित हैं 1 सत्र में काम करना अनिवार्य है।
जबकि के लिए 1 सप्ताह में 45 घंटे काम करना अनिवार्य है ,तैयारी के घंटों के साथ(including preparatory hours)
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