Edward Lee Thorndike's trial and Error theory
थार्नडाइक जो कि एक अमेरिकन मनोवैज्ञानिक थे। इन्होंने शैक्षिक मनोविज्ञान में काफी काम किया। इस कारण इन्हें शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational Psychology) का जनक कहा जाता है।
उन्होंने अपने सीखने के सिद्धांत में बताया कि सीखना, उद्दीपक (Stimuli) और अनुक्रिया (Response) के बीच का संबंध है। इसलिए इसे उद्दीपक -अनुक्रिया सिद्धांत (S-R Theory) भी कहा जाता है। उन्होंने बिल्ली पर प्रयोग किए और व्यवहारवाद के वास्तविक S-R फ्रेमवर्क के संबंध को बताया। उन्होंने बहुत से एनिमल्स जैसे - चूज़े, चूहे, कबूतर पर प्रयोग किए परंतु बिल्ली पर किये गए प्रयोग सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।
थार्नडाईक त्रुटि और प्रयास का सिद्धांत - Trial and Error theory of Thorndike
1. उन्होंने अपने प्रयोग में एक भूखी बिल्ली को एक पजल बॉक्स या पिंजरे या केज के अंदर रखा और फिश को बॉक्स के बाहर रख दिया।
2. फिश की स्मेल के कारण के कारण कैट को अभीप्रेरणा (Motivation) मिली।
3. अब बिल्ली बार-बार बॉक्स से बाहर आने की कोशिश करने लगी।
4. और एक बार अचानक गलती से उससे पिंजरे का गेट खुल गया।
5. यह प्रयोग बार-बार किया गया, जिससे कि कोई निष्कर्ष निकाला जा सके।
6. इस तरह से कैट की कंडीशनिंग हो गई।
7. इसके बाद बिल्ली ने कम प्रयास करके ही पिंजरे का गेट खोल लिया और फटाफट बाहर आ गई।
इस पूरे प्रयोग में
कैट -सब्जेक्ट है
फिश- स्टिमुलस
स्मैल्-मोटिवेशन है
हंगर -ड्राइव है
इस प्रयोग के अनुसार यदि कैट भूखी नहीं होती तो उसको स्मेल के होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता और वह अपने प्रयास नहीं करती इसलिए किसी भी काम को करने के लिए ड्राइव का होना जरूरी है।
जैसे यदि हम किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो हमारे लिए वह कितना इंपॉर्टेंस रखता है, हमें यह पता होना जरूरी है, फिर हमें उस दिशा में प्रयास करना भी जरूरी है और जब बार-बार प्रयास करेंगे, कई बार असफलता मिलेगी और कभी ना कभी सफलता भी जरूर मिलेगी यही Trial and Error का सिद्धांत है।
सीखने के नियम - Laws of Learning
अपने इसी त्रुटि और प्रयास के सिद्धांत के आधार पर थोर्नडाइक ने सीखने के दो नियम दिए जिन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है।
1) सीखने के प्राथमिक नियम (Primary Laws of Learning)
2) सीखने के द्वितीयक नियम या गौण (Secondary Law of Learning)
सीखने के प्राथमिक नियम (Primary Laws of Learning)
A) तत्परता का नियम (Laws of Readiness)-
इस नियम के अनुसार जब तक आप सीखने के लिए तत्पर नहीं होंगे तब तक कुछ भी नहीं सीखा जा सकता। इसके अलावा मेंटल, फिजिकल, कॉग्निटिव, मोरल, सोशल, इकनोमिकल, हर प्रकार की स्थिति सीखने को प्रभावित करती है परंतु इस सबसे महत्वपूर्ण है रुचि या इंटरेस्ट इसीलिए बच्चों यदि उनकी उनकी रूचि के अनुसार सिखाया जाए तो वे आसानी से सीखते हैं।
B) प्रयास का नियम - Law of Practice
जैसे कि एक कहावत है" करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान" (practice makes a man or a woman Perfect) यदि हम बार-बार प्रयास करते रहते हैं तो एक ना एक दिन हम उस काम को करने में सफल हो ही जाते हैं। इसी कारण फ्लो बनने के लिए, practice जरूरी है। इसीलिए किसी भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोज का टाइम टेबल फॉलो करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा प्रैक्टिस में उपयोग और अनुपयोग भी बहुत प्रभाव डालते हैं। यदि हम रोज कोई काम करेंगे तो करते-करते आ ही जाएगा परंतु जब हम उसका उपयोग नहीं करेंगे तो कुछ समय बाद उसको करना भूल भी सकते हैं।
C) प्रभाव का नियम (Law of Effect) -
अगर आप पर किसी चीज का पॉजिटिव प्रभाव पड़ा है तो आप उसको प्राप्त करने की कोशिश जरूर करेंगे परंतु यदि आपके ऊपर नेगेटिव प्रभाव पड़ा है तो आप उससे दूर जाएंगे। इसी प्रकार बच्चों के संबंध में शिक्षक और सिलेबस यदि पॉजिटिव प्रभाव डालेंगे तो बच्चे पढ़ने में रुचि लेंगे और तत्परता के नियम से जल्दी ही सीख जाएंगे।
2) सीखने के द्वितीयक नियम (Secondary Laws of Learning) -
यह प्राथमिक नियमों से ही प्रभावित होकर बने हैं। इनमें मुख्य रूप से प्रधानता का नियम, तत्कालता का नियम, उद्दीपक की तीव्रता का नियम, बहुअनुक्रिया का नियम, समानता एवं समायोजन का नियम, मनोवृति का नियम, संलग्नता का नियम, सहलग्नता का नियम,आंशिक क्रिया का नियम आदि आते हैं परंतु शैक्षिक मनोविज्ञान की दृष्टि से प्राथमिक नियम ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, यदि बच्चा प्राथमिक नियम सीख जाता है तो वह द्वितीयक नियम तो सीख ही जाता है।
थार्नडाइक के नियम का शैक्षिक मनोविज्ञान में उपयोग - Use of Thorndike's Principle in Educational Psychology
1. इसके अनुसार बार-बार बच्चों को प्रैक्टिस के लिए होमवर्क देने से उनको सीखने में आसानी होती है।
2. बार-बार रिवीजन(पुनरअभ्यास) करने से उनका अधिगम मजबूत होता है।
3. एक-एक करके सिखाने से से बच्चों को Recall करने में आसानी होती है।
4. इसीलिए पाठ्यक्रम में चैप्टर वाइज सिलेबस को बांटा गया है।
5. बच्चों के सीखने के लिए उनके शुरुआती साल काफी महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए प्राथमिक स्तर से ही बच्चों की रुचि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
थार्नडाइक के सिद्धांत की आलोचनायें - Criticism of Thorndike's Principle
1. प्रयास एवं त्रुटि के सिद्धांत के अनुसार इसमें समय बहुत अधिक लग जाता है।
2. इस सिद्धांत में रटने(Rote Learning) पर बल दिया गया है।
3. कई व्यवहारवादियों(Behaviourist)ने इसकी आलोचना की।
4. दंड एवं पुरस्कार पर बराबर बल दिया गया।
5. सीखने की गति धीमी होती है परंतु जब सफलता मिलती है तो अचानक ही मिल जाती है।
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