MPPSC ने भोपाल के 2 अधिकारियों की बर्खास्तगी मंजूर की, आंगनवाड़ी मानदेय घोटाला

Bhopal Samachar
भोपाल।
MP Public Service Commission (मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) ने महिला बाल विकास विभाग के दो अधिकारी राहुल संघीर और कीर्ति अग्रवाल की बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी है। दोनों अधिकारियों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय घोटाले का आरोप है। 

मध्य प्रदेश आंगनवाडी मानदेय घोटाला जांच में प्रमाणित हुआ था

जांच रिपोर्ट के अनुसार भोपाल सहित मध्य प्रदेश के 14 जिलों में वर्ष 2014 से 2017 तक बाल विकास परियोजना अधिकारी और लिपिकों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था। सबसे पहले भोपाल की 8 बाल विकास परियोजनाओं में गड़बड़ी सामने आई। जांच में 6 करोड़ के घोटाले की पुष्टि के बाद एक के बाद एक अन्य जिलों में जांच कराई गई और घोटाला 26 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

महिला बाल विकास विभाग- 3 क्लर्क बर्खास्त हो चुके हैं

मामले में भोपाल के आठों बाल विकास परियोजना अधिकारी और पांच लिपिकों को निलंबित किया गया था। इनमें से तीन लिपिकों को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। जबकि अर्चना भटनागर, लिपिक दिलीप जेठानी एवं बीना भदौरिया की जांच अभी चल रही है और हाई कोर्ट जबलपुर से स्थगन होने के कारण परियोजना अधिकारी मीना मिंज, बबीता मेहरा और नईम खान की जांच भी अधूरी है।

विभागीय जांच और पुलिस FIR के आधार पर स्थगन आदेश मिला

निलंबित अधिकारियों ने एक मामले के लिए एक साथ दो जांच कराने पर आपत्ति उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर स्थगन मिला है। इन अधिकारियों का तर्क है कि एक ही मामले में दो कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। जबकि विभाग का मानना है कि विभाग में रहते हुए आर्थिक गड़बड़ी करने के कारण विभागीय जांच होनी चाहिए और मामला अमानत में खयानत का भी बनता है। इसलिए पुलिस कार्रवाई भी होनी चाहिए।

ऐसे किया गया घोटाला 

वर्ष 2014 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं का मानदेय बाल विकास परियोजनाओं से आहरित करने पर रोक लगा दी गई है। मानदेय वितरण की जिम्मेदारी जिला परियोजना अधिकारी को सौंपी गई थी। फिर भी ये अधिकारी ग्लोबल बजट से राशि निकालते रहे और दस्तावेजों में कार्यकर्ता-सहायिकाओं को मानदेय का भुगतान बताते रहे।

जबकि मानदेय का भुगतान जिला कार्यालय अलग से कर रहा था। आरोपित यह राशि चपरासी, कार्यालय में पदस्थ कंप्यूटर आपरेटर, दोस्तों और रिश्तेदारों के बैंक खातों में जमा कराते थे और बाद में बांट लेते थे। उच्च स्तर पर जांच के बाद पकड़े गए इस मामले में संबंधि‍तों के खिलाफ विभाग ने विभिन्न थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.

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