जबलपुर। MP Public Service Commission (मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा 2019 और राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 को निरस्त करने की मांग हाई कोर्ट में दोहराई गई। दावा किया गया है कि शासन ने नियमों में संशोधन तो किया परंतु रिजल्ट विवादित नियमों के अनुसार जारी कर दिए हैं।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एमपीपीएससी परीक्षा 2019 एवं 2020 के खिलाफ कुल 47 याचिकाएं दाखिल की गई है। इनमें पीएससी के परीक्षा नियमों में संशोधन, प्रांरभिक व मुख्य परीक्षा-2019 व प्रांरभिक परीक्षा-2020 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि विवादित परीक्षा नियम में संशोधन को निरस्त करने की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्न्खा, अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि सरकार ने नियमों में संशोधन किया, लेकिन पीएससी परीक्षा 2019 के रिजल्ट संशोधित नियम लागू किए बिना पुराने नियमों के तहत ही घोषित कर दिए गए हैं। मंगलवार को सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता बीडी सिंह व हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ के समक्ष हुई। युगलपीठ के सदस्य न्यायाधीश पुरुषेंद्र कुमार कौरव पीएससी मामले में पूर्व में महाधिवक्ता रहते हुए राज्य शासन की ओर से पैरवी कर चुके हैं, अत: कोर्ट ने नई युगलपीठ के समक्ष अगली सुनवाई की व्यवस्था दे दी है। इसके लिए 17 जनवरी 2022 की तारीख निर्धारित की गई है।