बाजार में पैर जमाने के लिए कुछ इन्नोवेटिव करना जरूरी है। यदि अपना बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं तो इनोवेशन के नाम पर कुछ ऐसा भी नहीं कर सकते जिसमें जोखिम ज्यादा हो और सपोर्ट बिल्कुल ना हो। इसलिए उन्हीं इन्नोवेटिव आईडियाज पर काम करना चाहिए जिसमें सरकारी सपोर्ट मिल रहा हो।
गोबर से पेंट बनाने के प्लांट को सरकार जबरदस्त समर्थन दे रही है। देश के कई शहरों में गोबर से पेंट बनाने के प्लांट शुरू हो रहे हैं। मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में श्रीमती नम्रता दीक्षित को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 2500000 रुपए का लोन मिला है। उन्होंने मशीन के लिए आर्डर भी जारी कर दिया है। नम्रता का कहना है कि खादी ग्राम उद्योग विभाग द्वारा उसे न केवल ट्रेनिंग दिलवाई गई बल्कि काफी मोरल सपोर्ट दिया गया। अब वह पूरी तरह है कॉन्फिडेंट है और आने वाली दीपावली पर उसका इको फ्रेंडली पेंट बाजार में होगा।
गोबर से पेंट बनाने के प्लांट में कितना मुनाफा होता है
खादी ग्रामोद्योग आयोग के अनुसार एक मवेशी के गोबर से साल भर में ₹30000 की कमाई हो सकती है। यदि आपकी अपनी डेयरी है और गोबर के लिए आपको किसी दूसरे पशुपालक पर डिपेंड नहीं होना पड़ता तो आप का मुनाफा काफी बढ़ जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालकों के बच्चे सहकारी समिति बनाकर प्लांट लगा सकते हैं।
गोबर से पेंट बनाने का प्लांट लगाने में कितना खर्चा आता है
MSME- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय सिजारी डॉक्यूमेंट के अनुसार एक प्लांट में अधिकतम 1500000 रुपए का खर्चा आता है। इसके कारण गांव में ही रोजगार की स्थिति बन जाती है। पलायन नहीं करना पड़ता। प्लांट लगाने वाले को सस्ता श्रम मिल जाता है। एक प्लांट से करीब 25 लोगों को रोजगार मिलता है। गोबर से पेंट बनाने की मशीन भारत में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
गोबर से पेंट बनाने की ट्रेनिंग कहां मिलेगी
कृपया अपने नजदीकी खादी ग्रामोद्योग कार्यालय से संपर्क करें। निश्चित रूप से वह आपकी ट्रेनिंग के लिए प्रबंध करेंगे लेकिन यदि किसी कारण से यह संभव नहीं हो पाता तो खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग जयपुर राजस्थान की यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट से संपर्क कर सकते हैं। यहां पर पेंट बनाने की फैक्ट्री के साथ प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया जाता है। ट्रेनिंग में मात्र 1 सप्ताह लगता है, लेकिन लिमिटेड सीट्स होने के कारण वेटिंग चलती रहती है।
गोबर का पेंट कोई क्यों खरीदेगा
क्योंकि यह इको फ्रेंडली है। गाय में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है। कहा जाता है कि माता लक्ष्मी उसी आंगन में आना पसंद करतीं हैं जो गोबर से लीपा गया हो। गाय के गोबर का पेंट फफूंद और वायरस से बचाता है। सांप-बिच्छू का खतरा कम हो जाता है। गाय के गोबर से तैयार यह पेंट गंधहीन है। इसे भारतीय मानक ब्यूरो ने प्रमाणित किया है। यह पेंट फिलहाल दो रूपों- डिस्टेंपर और प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट में उपलब्ध है। इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.