भारत के उच्चतम न्यायालय ने प्रतियोगी परीक्षा (NEET PG-UG) में पिछड़ा वर्ग को 27% एवं सामान्य जाति वर्ग के निर्धन उम्मीदवारों को 10% आरक्षण के आदेश जारी कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि योग्यता का मापदंड केवल परीक्षा परिणाम नहीं होता।
OBC-EWS आरक्षण विवाद के कारण NEET PG-UG की काउंसलिंग रुकी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि काउंसलिंग की प्रक्रिया किसी भी स्थिति में रुकनी नहीं चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि काउंसलिंग के आदेश जारी हो जाने के बाद आरक्षण को दी जाने वाली चुनौती की सुनवाई नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 15(5) के तहत पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य निर्धन वर्ग को आरक्षण की स्वीकृति प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आरक्षण और मेरिट एक दूसरे के विपरीत नहीं है। सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण आवश्यक है। केंद्र सरकार को आरक्षण का निर्धारण करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। यह फैसला जस्टिस DY चंद्रचूड़ और AS बोपन्ना की विशेष पीठ ने सुनाया।
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