इंदौर। इस घटना को दो एंगल से देखा जा सकता है। नंबर 1- मात्र ₹4000 के कपड़े खरीदने के लिए 7 साल के अनजान बच्चे को किडनैप कर लिया। नंबर 2- कपड़े खरीदना कितनी बड़ी मजबूरी थी कि आपराधिक साजिश रखनी पड़ी। एंगल कुछ भी हो लेकिन एक बात क्लियर है, अपराधी का उद्देश्य अपहरण, हत्या या फिरौती नहीं था, लेकिन जो घटना घटित हुई आईपीसी के तहत अपहरण की श्रेणी में आती है।
मामला चंदन नगर का है। ऑटो पार्ट्स कारोबारी आरिफ मंसूरी अपनी ससुराल में आयोजित एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए आई थी। 7 साल का बेटा आसिम भी उनके साथ था। बच्चा घर के बाहर खेल रहा था, तभी एक अंकल आए। उन्होंने पूछा कि यहां आस-पास कोई कपड़े की दुकान है क्या। बच्चे ने बताया कि आगे वाली गली में एक दुकान है। अंकल ने कहा कि क्या तुम मुझे उस दुकान पर ले चल सकते हो। बच्चा अंकल को दुकान तक ले गया।
इसी दौरान अंकल ने बच्चे को अपनी बातों से प्रभावित किया और सार्वजनिक परिवहन मैजिक वाहन में बैठकर सदर बाजार पहुंच गए। यहां अंकल ने ₹4000 के कपड़े खरीदे, फिर दुकानदार से कहा कि मैं पैसे घर छोड़ आया हूं। बच्चे को यही छोड़ जाता हूं और पैसे लेकर आता हूं। अंकल चले गए। बच्चा दुकान पर बैठा रहा। थोड़ी देर बाद जब ग्राहक लौट कर नहीं आया तो दुकानदार ने बच्चे से उसके पापा के बारे में पूछा। तब बच्चे ने सारी कहानी सुना दी। दुकानदार के हाथ पांव फूल गए। वह बच्चे को लेकर सीधा पुलिस थाने पहुंचा। पता चला कि बच्चा पिछले 5 घंटे से लापता है, पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
कुल मिलाकर एक व्यक्ति ने मात्र ₹4000 के कपड़ों के लिए 7 साल के मासूम बच्चे का अपहरण किया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उस व्यक्ति ने मात्र ₹4000 की ही कपड़े खरीदे। शायद इतना ही जरूरी रहा होगा। उसने बड़ी चालाकी के साथ बच्चे को दुकानदार की सुपुर्दगी में छोड़ा। शायद इसलिए कि बच्चे को कोई नुकसान ना हो और कुछ समय बाद वह सही सलामत अपने परिवार के पास तक पहुंच जाए।
आईपीसी के अनुसार निश्चित रूप से यह एक अपराध है लेकिन इस घटना के कारण मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने एक प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या मध्यप्रदेश में गरीबी का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोग जरूरी सामान की पूर्ति के लिए अपराध करने लगे हैं। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया indore news पर क्लिक करें.