किसी भी प्रकार के स्त्रोत को दूषित करना इतना गंभीर अपराध नहीं होता है जैसे खाना बनाने के पानी में कचरा डाल दिया जाए। यहाँ पर खाना बनाने का पानी दूषित हो जाता है लेकिन अगर किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्यों के पीने के पानी अर्थात कुआँ, तालाब, बाल्टी, आदि को दूषित कर दिया जाता है तब वह गंभीर अपराध हो सकता है जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) (भ) की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है एवं वह ऐसे विशेष वर्ग के सदस्यों के किसी भी प्रकार से उपयोग में लाए जाने वाले स्त्रोत, जलाशय, पीने के पानी, कोई भी साधारणतया उपयोग किए जाने वाले स्त्रोत को दूषित करेगा या गंदा करेगा वह व्यक्ति उक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) (भ) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए पाँच वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 नियम 12 (4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत जब पानी दूषित कर दिया जाता है उसकी सफाई भी एवं पूरा खर्च संबद्ध राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा वहन किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आठ लाख पच्चीस हजार की रकम स्थानीय निकाय के परामर्श से जिला अधिकारी द्वारा विनिश्चय की जाने वाली प्रकृति की सामुदायिक आस्तियों को सृजित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा की जाएगी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com