लोक समागम वह स्थान होता है जहाँ पर सभी वर्ग के लोग अर्थात सार्वजनिक बैठक होती है या सार्वजनिक स्थान या रास्ता जहाँ से सभी व्यक्ति को जाने का अधिक प्राप्त होता है। अगर कोई व्यक्ति किसी रूढ़िप्रथा के अनुसार विशेष वर्ग के व्यक्ति को इस्तेमाल करने से रोकेगा वह कितना गंभीर अपराध होगा जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(म) की परिभाषा:-
कोई व्यक्ति या वर्ग जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य नहीं है वह- " उक्त वर्ग के व्यक्ति को सार्वजनिक बैठक वाले स्थान पर बैठने से मना करेगा या सार्वजनिक स्थान वाले रास्ते से किसी रूढ़ि प्रथा अर्थात छुआ-छूत, किसी वर्ग के निकलने से कोई रास्ता अपवित्र हो जाए ऐसी प्रथा से स्थान, रास्ते, बैठक आदि में जाने से रोकेगा या ऐसे स्थान को प्रयोग नहीं करने देगा या उपयोग करने पर बाधा पहुचाएगा वह उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(म) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि:-
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा चार लाख पच्चीस हजार रुपए आर्थिक सहायता(संदाय) दी जाती है एवं गुजरने के अधिकार के लिए प्रत्यावर्तन का खर्च दिया जायेगा। यह राशि जिला कलेक्टर या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होगी है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com