गरीब-कमजोर वर्ग के व्यक्ति हमेशा दबंग लोग दबाते रहे हैं एवं शोषण के प्रति भी बहुत से विचारक ने अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। कुछ पूंजीपति लोग या गाँव के दबंग लोग अपना बल ऐसे वर्गों पर दिखाते हैं जो निर्धन, गरीब, कमजोर या दलित वर्ग के होते हैं उन्हें ये लोग इतना मजबूर कर देते हैं कि वह अपना गृह निवास या गाँव छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं, लेकिन निर्बल या दलित वर्ग की सुरक्षा के लिए ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कठोर कानून बनाया गया है जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(य) की परिभाषा:-
कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग का सदस्य नहीं है वह उस(SC, ST) वर्ग के व्यक्ति को उसके घर, ग्राम, निवास का कोई भी स्थान छोड़ने के लिए मजबूर करेगा या किसी से निवास छुड़वाने के लिए मजबूर करवाएगा। वह व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- कोई भी शासकीय सेवक लोक कर्तव्य के निर्वहन में ऐसी कार्यवाही करता है तब यह अपराध लागू नहीं होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3(1) (य) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि;-
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता(संदाय) एवं सरकारी खर्चे पर गृह का पुनः संनिर्माण यदि विनिष्ट हो गया है तो करवाया जाएगा। यह राशि जिला कलेक्टर या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होगी है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com