स्त्रियों की लज्जा भंग करना अर्थात स्त्रियों के साथ आपत्तिजनक बातें करना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354 या धारा 509 के अंतर्गत अपराध मना गया है। इन धाराओं में स्त्रियों की उम्र सीमा नहीं निर्धारित नहीं है किसी भी उम्र की स्त्री की लज्जा भंग करना या उनका अनादर करना अपराध माना गया है। लेकिन अगर यही अपराध किसी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों के साथ होता है तब यह अपराध अजमानतीय एक कितना गंभीर होगा जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की धारा 3(1)(ब) की परिभाषा
• अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है वह अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिला को बिना उसकी सहमति के लैंगिक प्रकृति के अंग को स्पर्श करेगा या स्पर्श करने का प्रयत्न करेगा या कोई आपत्तिजनक बातें करेगा या आपत्तिजनक कार्य करेगा या उसके शरीर के किसी अंग को गलत तरीके से स्पर्श करेगा या उसकी किसी भी प्रकार से लज्जा भंग करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 3 (1)(ब) के अंतर्गत दोषी होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3(1) (ब) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि:-
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता (संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होगी है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com