जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि समान प्रकृति का काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट की आयु सीमा समान होनी चाहिए। एलोपैथी का डॉक्टर 65 साल में और आयुष चिकित्सक 62 साल में रिटायर कर दिया जाए, यह उचित नहीं है।
शासकीय हकीम सैय्यद जिया-उल-हसन यूनानी मेडिकल कालेज व अस्पताल, भोपाल में तशरी-हुल-बदन (एनाटोमी) में पदस्थ विभागाध्यक्ष डा. अब्दुल अजीज सिद्दीकी की सेवानिवृत्ति 28 फरवरी, 2022 को होने वाली थी। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, विजय राघव सिंह, मनोज चतुर्वेदी व अजय नन्दा ने रखा।
उन्होंने दलील दी कि मध्य प्रदेश शासकीय सेवक अर्धवार्षिकी आयु अधिनियम के प्रावधानों के तहत एलोपेथी के प्राध्यापकगण 65 वर्षों तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं जबकि आयुष विभाग के प्राध्यापकगण 62 वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों को एलोपैथी के चिकिसकों के समतुल्य माना है, अत: भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मौजूदा व्यवस्था संविधान की मंशा के भी विपरीत है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिकाकर्ता को राहत प्रदान कर दी। हाईकोर्ट ने आदेशित किया कि याचिकाकर्ता का रिटायरमेंट 62 नहीं बल्कि 65 वर्ष की आयु में किया जाए। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि आदेश का पालन हो। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अवमानना की कार्रवाई होगी। इसके लिए जिम्मेदार विभाग कमर कस ले। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.