भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज पंचकर्म के माध्यम से कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रख्यात होता जा रहा है। कॉलेज मैनेजमेंट को भी अपनी USP पता है। इसीलिए स्पा की तर्ज पर पंचकर्म हॉस्पिटल तैयार किया गया है। यहां मरीजों को म्यूजिक भी सुनाई देगा।
भोपाल में पंचकर्म सुपर स्पेशलिस्टी हॉस्पिटल
यह 50 बिस्तर का पंचकर्म सुपर स्पेशलिस्टी हॉस्पिटल है। इसकी पंचकर्म यूनिट बिल्कुल स्पा यूनिट की तरह बनाई गई है। पंचकर्म के समय मधुर संगीत चल रहा होगा। इस अस्पताल में 20 प्राइवेट रूम हैं। 20 जनरल और 10 लग्जरी एसी रूम बनाए गए हैं। प्राइवेट वालों में टीवी, टेलीफोन और एक छोटा सा रसोईघर भी बनाया गया है।
भारत का पहला एक्सीलेंस सेंटर- पंचकर्म के साथ न्यूरो स्पाइनल
यह देश का पहला एक्सीलेंस सेंटर होगा, जहां पंचकर्म अस्पताल के साथ न्यूरो स्पाइनल सेंटर भी बन रहा है। मिर्गी, लकवा और सुन्नपन जैसी बीमारियों का इलाज होगा। इसकी लागत 10 करोड़ रुपए आई है। अब सिर्फ इंटीरियर डिजाइनिंग और स्टॉफ नियुक्ति का काम रह गया है। यह भी 30 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य है।
भोपाल में देशभर से लोग पंचकर्म करवाने आते हैं
भोपाल में पंचकर्म की भारी मांग है। औसतन रोज 600 लोग ओपीडी में आते हैं। इनमें से 20% शहर के बाहर से और 8 से 10% देश के दूसरे राज्यों से आते हैं। पंचकर्म वार्ड के 150 बेड में से अभी 90% फुल रहते हैं। हालांकि, कोविड की तीसरी लहर के कारण एक सप्ताह से ओपीडी बंद है और दो दिन बाद इसे दोबारा चालू कर दिया जाएगा।
खुशीलाल कॉलेज पंचकर्म की फीस कितनी है
कलियासाेत डैम किनारे आयुर्वेद कॉलेज कैंपस में बन रहे पंचकर्म वैलनेस सेंटर को विदेशी मरीजों को आकर्षित करने के लिए बनाया जा रहा है। यहां कुल 9 प्रकार के पैकेज होंगे, जिसे स्वदेशी व विदेशी मरीजों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। विदेशी मरीजों के लिए एयर कंडीशनर हट्स भी रहेंगे। यह ऐसे स्थान पर बनेंगे, जहां से कलियासोत डैम का नजारा दिखाई दे। इसके पीछे एक मंशा यह भी है कि कॉलेज के पास खाली पड़ी जमीन पर हो रहे कब्जे भी रोके जा सकें। अभी प्रदेश में पचमढ़ी में पंचकर्म सेंटर है, पर सरकार द्वारा संचालित होने वाला पहला सेंटर भोपाल का होगा।
कुछ काम बाकी, अप्रैल में इसे शुरू कर सकते हैं
सरकार ने वैलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से यह हॉस्पिटल बनाया है। इसमें स्वदेशी के साथ विदेशी मरीजों को भी सभी सुविधाएं मिलेंगी। अस्पताल का काम पूरा हो गया, बस इंटीरियर, मशीनरी और स्टॉफ का काम बाकी रह गया है। इसे भी मार्च तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है, ताकि अप्रैल में इसे शुरू किया जा सके। - डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज