सेशन न्यायालय अर्थात सत्र न्यायालय में किसी अपराध के आरोप का मामला तब सुनवाई के योग्य होता है जब कोई पुलिस रिपोर्ट या कोई शिकायत की जाँच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। कोई भी अपराध के आरोपों का विचारण डायरेक्ट परिवादी की शिकायत पर सत्र न्यायालय नहीं करेगा जब तक कोई मामला उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा नहीं सौपा गया हो। सत्र न्यायालय किसी अपराध के आरोप का विचारण कैसे प्रारंभ करता है, आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 226 की परिभाषा:-
जब कोई मामला किसी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सेशन न्यायालय को सौंपा जाता है तब वकील अपने मामले का कथन, आरोपी के विरुद्ध लगाए गए आरोपों का वर्णन करते हुए यह बताते हुए आरंभ करेगा कि वह आरोपी के दोष को किस साक्ष्य से साबित करने की प्रस्थापना करता है।
अर्थात सत्र न्यायालय की प्रारंभिक कार्यवाही में पीड़ित व्यक्ति का वकील (प्राइवेट या शासकीय कोई भी) सबसे पहले आरोपी के खिलाफ दोष सिद्धि साबित करने के लिए अपना पक्ष देता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com