भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित राज्य न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला FSL के DNA प्रभारी पंकज श्रीवास्तव के खिलाफ सागर के सिविल थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। ग्वालियर हाई कोर्ट के आदेश पर भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर की टीम द्वारा इन्वेस्टिगेशन की गई थी। अब समझ में आया DNA रिपोर्ट में देरी क्यों हो रही थी।
जांच निष्कर्ष में पाया गया कि तत्कालीन DNA प्रभारी एवं राज्य न्यायायिक वैज्ञानिक प्रयोगशाला प्रभारी पंकज श्रीवास्तव डिपार्टमेंट की अनुमति के बिना विदेशी कंपनियों से DNA सैंपल प्राप्त करके उनकी जांच कर रहे थे। सरल शब्दों में कहे तो सरकारी DNA रिपोर्ट में अवैध रूप से प्राइवेट जांच की जा रही थी। इन्वेस्टिगेशन के दौरान पंकज श्रीवास्तव द्वारा मार्च 2021 से सितंबर 2021 तक किया ईमेल से भी इस संबंध में चर्चा करना पाया गया।
मध्यप्रदेश में DNA रिपोर्ट के अंदर जार में न्याय प्रक्रिया रुकी हुई थी
मध्यप्रदेश में आलम यह था कि DNA रिपोर्ट के इंतजार में न्याय प्रक्रिया रुकी हुई थी। कई आरोपियों को इसलिए जमानत का लाभ मिला क्योंकि निर्धारित समय पर DNA रिपोर्ट नहीं आई थी। राजधानी भोपाल के एक मामले में तो मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी DNA रिपोर्ट निर्धारित समय पर नहीं आई थी। पत्रकारों को बड़ा हंगामा करना पड़ा था। पुलिस डिपार्टमेंट द्वारा कराई गई जांच में दोषी पाए जाने के बाद पंकज श्रीवास्तव के विरुद्ध अपराध धारा 7 (क), (ख) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 एवं संशोधन अधिनियम (2018) के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.