क्या आप जानते हैं, भारत के राजस्थान में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जिसके स्पर्श से दूध, जमकर दही बन जाता है। मजेदार बात यह है कि उस गांव में यह पत्थर यहां-वहां आम पत्थरों की तरह पड़ा मिल जाता है। इस चमत्कारी पत्थर के कारण ही देश-विदेश के पर्यटक उस गांव में पहुंचते हैं। आइए जानते हैं, उस पत्थर में इस प्रकार का चमत्कार क्यों है:-
राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल जैसलमेर से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हाबूर गांव। इस गांव में पाए जाने वाले पत्थरों को हाबूर पत्थर कहते हैं। दुनिया भर में यह पत्थर Jaisalmer Habur Fossil के नाम से प्रसिद्ध है। इस पत्थर की खास बात यह है कि यदि इसे दूध के संपर्क में रख दिया जाए तो दूध, बिना किसी अतिरिक्त पदार्थ का प्रयोग किए, आश्चर्यजनक रूप से दही बन कर जम जाता है। यह दही जैसा दिखाई नहीं देता, बल्कि वास्तव में दही ही होता है। लोग मजे से हाबूर पत्थर का दही खाते हैं।
Jaisalmer Habur Fossil के चमत्कारी वैज्ञानिक गुण
शुरुआत में इस पत्थर को चमत्कारी पत्थर कहा गया लेकिन बाद में इस पत्थर पर काफी रिसर्च हुई। लैब टेस्ट में पाया गया कि इस पत्थर में वह सारे केमिकल मौजूद है जो दूध को दही बनाने में जरूरी होते हैं। इस पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन पाए गए हैं।
हाबूर पत्थर सिर्फ जैसलमेर में ही क्यों पाया जाता है
कहा जाता है कि जिस जगह पर हाबूर गांव मौजूद है। उसी जगह पर हजारों साल पहले तेती सागर (टेथीस सागर) नाम का समुद्र हुआ करता था। सैकड़ों प्रकार के जलीय जीवों के जीवाश्म यहां मौजूद हैं। इन्हीं जीवाश्म के कारण हाबूर पहाड़ का निर्माण हुआ। बाद में यहां कुछ लोग रहने के लिए आ गए। उस समय लोग पत्थर के बर्तन बनाया करते थे। तब हाबूर पत्थर के चमत्कार का पता चला। हाबूर पत्थर के बर्तन आज भी डिमांड में है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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