अपन सभी जानते हैं कि पेट्रोल, डीजल, केरोसिन तेल और रसोई गैस सभी क्रूड ऑयल से बनते हैं। क्रूड ऑयल का कलर ब्लैक होता है और रिफाइनरी में प्रोसेस करने के बाद वह पानी की तरह पूरी तरह से पारदर्शी हो जाता है। सवाल यह है कि जब सभी प्रोडक्ट क्रूड ऑयल से बनते हैं तो फिर उनके कलर्स अलग-अलग क्यों होते हैं। आइए पता लगाते हैं:-
क्रूड ऑयल को जब रिफाइनरी में फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन प्रोसेस किया जाता है तो उसके अंदर मौजूद सारा कचरा अलग हो जाता है और एक ऐसा तरल पदार्थ प्राप्त होता है जो बिल्कुल पानी की तरह पारदर्शी दिखाई देता है, लेकिन जब पेट्रोल पंप से पेट्रोल या डीजल खरीदा जाता है तो उसमें कलर्स होते हैं। पेट्रोल सुनहरा पीले रंग का होता है और डीजल हल्का हरे रंग का दिखाई देता है। इसी प्रकार केरोसिन तेल नीले रंग का दिखाई देता है।
दरअसल, यह सब कुछ आम नागरिकों की सुविधा के लिए किया जाता है। फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन प्रोसेस के बाद पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल में कलर मिलाए जाते हैं। ताकि कोई भी आम नागरिक आसानी से तीनों पेट्रोलियम उत्पादों को पहचान सके और कोई गड़बड़ी ना हो। जरूरी नहीं है कि सारी दुनिया में पेट्रोल सुनहरे पीले रंग का होता हो। कई देशों में यह हल्का लाल रंग का भी होता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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