अपन सभी ने देखा है। किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद उसकी नाक को रुई लगाकर बंद कर दिया जाता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है। क्या लोगों को डर रहता है कि कहीं फिर से जिंदा ना हो जाए। नाक को रुई से बंद करने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है या फिर कोई अंधविश्वास। आइए इसे सरल तरीके से समझते हैं:-
अपन सभी जानते हैं कि किसी भी मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद उसकी डेड बॉडी डीकंपोज (Decompose, हिंदी- अपघटन) होने लगती है। सरल शब्दों में कहें तो शव के सड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके कारण संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के दौरान कई लोग शव के बहुत नजदीक तक जाते हैं। यदि डेड बॉडी डीकंपोज होना शुरू हो गई तो ऐसे सभी लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। इसी खतरे को रोकने के लिए डेड बॉडी की नाक को रुई से बंद कर दिया जाता है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केवल नाक को ही बंद नहीं किया जाता। किसी भी व्यक्ति को मृत घोषित करते ही सबसे पहले उसकी आंखें बंद कर दी जातीं हैं और फिर यदि खुला हुआ हो, तो उसका मुंह बंद किया जाता है। इसके बाद नंबर आता है कान और नाक का। प्राचीन भारतीय ग्रंथ गरुड़ पुराण में लिखा है कि मृत व्यक्ति के नाक, कान, आंख और मुंह में सोने के कण रखकर उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है।
गरुड़ पुराण में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए कितने मार्मिक और संवेदनशील तरीके से परिवार जनों को प्रेरित किया गया है। कुछ लोग जिन्हें साइंटिफिक लॉजिक पता नहीं होते, उन्हें इस तरह के मार्गदर्शन, अंधविश्वास लगते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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