अपन सभी ने अपने शहरों में यात्री बसों को देखा है और नजदीक से नहीं तो टीवी पर सही लेकिन पानी के जहाज को भी देखा है। यात्री बस 100 किलोमीटर की यात्रा के लिए यदि 2 घंटे का समय लेती है तो पानी का जहाज इससे 4 गुना, या फिर और ज्यादा समय लेता है। सवाल यह है कि पानी के जहाज की स्पीड कम क्यों होती है जबकि समुद्र में तो सड़कों जैसा हेवी ट्रेफिक भी नहीं होता। आइए पता लगाते हैं:-
दरअसल सारा खेल RPM और TORQUE का है। जिसके आधार पर ENGINE तैयार किया जाता है। टेक्निकल इंग्लिश और विज्ञान के शब्दों का उपयोग ना करते हुए सरल हिंदी में बताएं तो RPM का मतलब होता है स्पीड और TORQUE का मतलब होता है ताकत। यदि आप इंजन से अधिक स्पीड चाहते हैं तो उसकी वजन उठाने की क्षमता यानी ताकत कम हो जाएगी।
अपनी कार से लेकर यात्री बस तक ऐसा इंजन लगाया जाता है जिसका RPM अच्छा हो। यात्री बस से लेकर CAR तक के इंजन 2000-4000 RPM पर सेट होते हैं, क्योंकि उन्हें ज्यादा वजन नहीं उठाना पड़ता। लेकिन रेल का इंजन अधिकतम 1000 RPM पर फिक्स किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पानी के जहाज का इंजन 100 RPM के हिसाब से डिजाइन किया जाता है। ताकि वह ज्यादा से ज्यादा वजन उठा सके।
यह बताने की तो बिल्कुल जरूरत नहीं है कि पानी का जहाज बहुत भारी होता है। अपने आप में एक छोटा सा शहर होता है। कुछ मैं तो मॉर्निंग वॉक के लिए पार्क भी होते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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