जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेंट्रल जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर एवं डिप्टी कमिश्नर पर 1-1 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए आदेशित किया है कि 14 फरवरी को कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करें। यदि नहीं किया तो वारंट जारी किए जाएंगे। उच्च न्यायालय ने इससे पहले जवाब प्रस्तुत करने के लिए कई बार नोटिस जारी किए थे। पिछली बार अंतिम अवसर दिया गया था फिर भी सेंट्रल जीएसटी की तरफ से जवाब नहीं आया।
पेशे से ठेकेदार मणि शंकर सिंह की ओर से याचिका प्रस्तुत की गई। उनके अधिवक्ता हिमांशु खेमुका ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2013 से जून, 2017 के बीच करीब 78 लाख रुपये का सर्विस टैक्स निकाला था। बाद में अपील करने पर 68 लाख रुपये टैक्स माफ कर दिया गया और 10 लाख रुपये टैक्स बचा।
इस बीच सरकार की 'सबका विश्वास' नाम की एक योजना आई। इस योजना के तहत लंबित टैक्स का केवल 30 प्रतिशत जमा करना था। इसके बावजूद विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता को 39 लाख रुपये टैक्स जमा करना है। इसी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
अधिवक्ता खेमुका ने बताया कि पिछले करीब डेढ़ साल से विभाग द्वारा जवाब पेश नहीं किया जा रहा है। इस रवैये को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने तर्क से सहमत होकर जुर्माना लगा दिया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.