मध्य प्रदेश में महिला कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट हेतु कानून बदल रहा है- INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर।
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर 24 घंटे काम करता है। कुछ ऑफिस तो ऐसे हैं जो नाइट शिफ्ट में ही काम करते हैं। विदेशों में सेवाएं देने वाली कंपनियों को रात में काम करना जरूरी है और उनकी मजबूरी भी लेकिन ऐसी कंपनियों में महिला कर्मचारी काम नहीं कर पातीं क्योंकि मध्यप्रदेश में महिला कर्मचारियों को रात में काम पर बुलाने की मनाही है, लेकिन अब यह कानून बदलने वाला है।

श्रम विभाग ने इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव प्रमुख सचिव के पास भेज दिया गया है। सरकार को कोई आपत्ति नहीं है इसलिए माना जा रहा है कि जल्द ही इसका ऑफिशल नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। अब तक प्रदेश में सिर्फ कारखानों और आईटी सेक्टर में ही महिलाओं को रात 10 से सुबह 6 बजे तक काम करने की मंजूरी थी।

मध्यप्रदेश में महिला कर्मचारियों से संबंधित श्रम कानून क्यों बदल रहा है

अप्रैल 2021 में केरल हाई कोर्ट ने महिलाओं के काम करने संबंधी याचिका पर यह आदेश दिया था, जिसका पालन भारत की सभी राज्य सरकारें भी कर रही हैं। श्रम विभाग के आयुक्त वीएस रावत ने प्रस्ताव की पुष्टि करते हुए बताया कि जल्द ही इसका नोटिफिकेशन जारी होगा। देश के अन्य राज्यों में भी इस पर अमल हो चुका है। बस इसमें यह देखना होगा कि महिलाओं की सुरक्षा संबंधी उपाय किए जाएं। यदि ओवर टाइम करवा रहे हैं तो उसका पैसा देना होगा। इसमें सुपरवाइजर महिला ही होगी।

महिला कर्मचारियों को रात में काम पर केरल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि, ‘किसी योग्य उम्मीदवार को सिर्फ इस आधार पर नियुक्त करने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक महिला है और रोजगार की प्रकृति के अनुसार उसे रात में काम करना होगा। जबकि महिला का योग्य होना ही उसकी नौकरी के लिए सुरक्षात्मक प्रावधान है।’

जस्टिस अनु शिवरामन की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड द्वारा सिर्फ पुरुष उम्मीदवारों को ही आवेदन करने की अनुमति दी गई थी। कंपनी के इस प्रावधान को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ट्रेजा जोसफीन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वह कंपनी में ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी (सेफ्टी) हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि यह अधिसूचना भेदभावपूर्ण है। कोर्ट की तरफ से कहा गया, ‘दुनिया आगे बढ़ रही है। ऐसे में महिलाओं को केवल घर के काम में ही क्यों लगाए रखें। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.

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