एक बार फिर किसानों की दर्द भरी आवाजें सुनाई दे रही हैं। ओलावृष्टि ने फसल बर्बाद कर दी थी और बीमा कंपनी ने मुआवजे के नाम पर बीज की कीमत भी नहीं भेजी है। नेता लोग हमेशा की तरह बयान बाजी करते रहेंगे परंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह पता लगाना है कि, जब फसल 100% बर्बाद हो जाती है तो मुआवजा 25% का ही क्यों मिलता है। गड़बड़ी कहां होती है।
पहली गलती- किसान रिपोर्ट नहीं करते, इंतजार करते हैं
फसल बीमा के मुआवजे में कटौती का सबसे बड़ा कारण होता है, फसल के बर्बाद होने के बाद किसान इसकी रिपोर्ट नहीं करते बल्कि सरकारी कर्मचारियों का इंतजार करते हैं। जबकि नियमानुसार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ऑनलाइन पोर्टल pmfby.gov.in पर घर बैठे प्रमाण सहित रिपोर्ट की जा सकती है। नियमानुसार यदि 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट की जाती है तो किसान का दावा पुख्ता हो जाता है।
दूसरी गलती- किसान निवेदन करते हैं, ज्ञापन नहीं देते
यदि सरकारी कर्मचारी सर्वे के लिए समय पर नहीं आता तो किसान कलेक्टर, विधायक या मंत्री के सामने निवेदन करते हैं, जिसका कोई प्रमाण नहीं होता। किसानों को चाहिए कि वह स्थानीय कलेक्टर कार्यालय में शिकायत शाखा में जाकर शिकायत दर्ज कराएं और पावती प्राप्त करें। यदि उनके पास पावती है तो यह प्रमाणित हो जाता है कि सर्वे के काम में देरी, किसान के कारण नहीं कर्मचारी के कारण हुई है।
तीसरी गलती- फोन करते हैं, ई-मेल नहीं करते
भारत सरकार के कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने किसानों की शिकायतों और समस्याओं के लिए हेल्प डेस्क का ईमेल एड्रेस जारी किया है जो इस प्रकार है:-
help.agri-insurance@gov.in
लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसान, हेल्पलाइन के नाम पर फोन करना पसंद करते हैं। ई-मेल नहीं करते। जबकि चिट्टियां लिखना भारत की पुरानी परंपरा है। किसी भी एंड्राइड मोबाइल फोन से जिसमें व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब चलता है, ईमेल करना बिल्कुल उतना ही आसान है जितना कि व्हाट्सएप मैसेज करना। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया india national news पर क्लिक करें.