एक संत ने बुद्धिमान राजा को दो अंगूठियां देते हुए कहा कि जब आप सबसे अधिक कष्ट में हों और कोई उपाय नहीं सूझ रहा हो तब पहली अंगूठी का पत्थर हटाना, आपको समाधान मिल जाएगा और जब आप जीवन में सफलता के चरम पर हों एवं समझ में नहीं आ रहा हो कि अब क्या करें, तब दूसरी अंगूठी का पत्थर हटाना, आपको मार्गदर्शन मिल जाएगा।
कुछ समय बाद पड़ोसी देश के आतंकी राजा ने हमला कर दिया। बुद्धिमान राजा युद्ध के लिए तैयार नहीं था। अचानक हुए हमले में बुद्धिमान राजा पराजित हो गया। जान बचाने के लिए पहाड़ों में एक गुफा में जाकर छुप गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें क्या ना करें। तभी उसकी नजर अंगूठी पर गई। उसने पत्थर हटाया। नीचे एक संदेश लिखा था ' यह वक्त भी गुजर जायेगा'। राजा को मोटिवेशन मिला। वह बाहर निकला, ग्वाल-बालों के साथ मिलकर सेना बनाई और अपना राज्य वापस प्राप्त कर लिया।
राजा, छापामार युद्ध में निपुण हो गया था। उसने आसपास के कई राज्यों की जनता के आग्रह पर उनके आतंकी और दुष्ट राजा को पराजित करके न्यायप्रिय शासन स्थापित किया। राजा की लोकप्रियता सारी दुनिया में फैल गई और राज्य का विस्तार होता चला गया। आम नागरिक राजा को भगवान का दूत, ईश्वर का उपहार, यहां तक कि भगवान का अवतार कहने लगे।
राजा अपने सिंहासन पर बैठा विचार कर रहा था कि अब क्या करें। यह सफलता का चरम है, तभी उसकी दृष्टि अंगूठी पर पड़ी। उसने पत्थर हटाकर देखा लिखा था 'यह समय भी नहीं रहेगा'। राजा समझ गया। उसने तुरंत सारे राज्य को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित किया और अच्छे नागरिकों का चयन करके उनके हाथ में सत्ता सौंप दी। ताकि जब वह इस दुनिया में ना रहे और समय बदल जाए, तब भी उसके द्वारा स्थापित न्याय प्रशासन व्यवस्था चलती रहे।