इंदौर। मध्य प्रदेश के पुराने सरकारी सिस्टम में नई एजुकेशन पॉलिसी ने 457 सरकारी कॉलेजों के लगभग 25000 ऐसे विद्यार्थियों को परेशान कर दिया है जो गरीब हैं, और सरकार की तरफ से उन्हें निशुल्क किताबें दीं जाती हैं। सरकार ने बड़ी ही धूमधाम के साथ नई शिक्षा नीति को लागू कर दी परंतु कोर्स की किताबों की प्रिंटिंग ही नहीं हुई। इधर यूनिवर्सिटी ने परीक्षा के लिए टाइम टेबल तैयार कर दिया है।
मध्य प्रदेश में सरकार ने गरीब छात्रों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। सरकार की योजना तो है और पात्र हितग्राहियों का पंजीयन भी किया गया है लेकिन लाभ नहीं दिया जा रहा है। स्कॉलरशिप तो पहले से पेंडिंग चल रही है। अब कोर्स की किताबें भी नहीं दी जा रहीं। हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशाेक कड़ेल का कहना है कि अभी तक उनके पास नए कोर्स की किताबें चक्कर ही नहीं आई हैं। जब किताबें प्रिंट होकर आ जाएंगी तब उनके वितरण की व्यवस्था की जाएगी।
स्टूडेंट्स का सबसे बड़ा सवाल यह है कि नए कोर्स लागू कर दिए, किताबें नहीं दी तो पढ़ाई कैसे करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव एवं उनके ऑफिस को मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि वर्तमान सत्र में पढ़ाई हो पाएगी या नहीं। विश्वविद्यालयों ने परीक्षा कार्यक्रम तैयार कर लिए हैं। गरीब विद्यार्थी परेशान हैं। कोई मदद करने वाला नहीं। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.