जबलपुर। वन्य प्राणी संरक्षण के नाम पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट रूप देने वाली मध्य प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक को वन्य प्राणी संरक्षण के मामले में लापरवाही के आरोप में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा अवमानना का नोटिस जारी किया गया है। मामला सामान्य जानवरों का नहीं बल्कि तेंदुआ के संरक्षण की योजना का है।
प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने आरोप लगाया है कि हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक द्वारा तेंदुआ संरक्षण योजना का प्रारूप नहीं बनाया गया। ये खुलेआम हाई कोर्ट की अवमानना है। याचिकाकर्ता ने मुख्य वन संरक्षक को अवमानना नोटिस भेज कर चेतावनी दी है कि यदि 15 दिन के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की जाती तो हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई, 2021 को हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने मुख्य वन संरक्षक को यह निर्देश दिए थे कि आठ सप्ताह के भीतर प्रदेश में तेंदुआ के संरक्षण हेतु एक क्विक एक्शन प्लान बनाया जाए। आठ माह बीतने के पश्चात भी सरकार द्वारा तेंदुआ संरक्षण हेतु कोई भी कार्य योजना नहीं बनाई गई है, जोकि हाई कोर्ट के आदेश की स्पष्ट अवमानना है।
नागरिक उपभोक्ता मंच द्वारा एक जनहित याचिका दायर कर मध्य प्रदेश में तेंदुए के हो रहे अवैध शिकार रोकने व संरक्षण हेतु कार्य योजना लागू करने की मांग की गई थी। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया था कि विगत 10 वर्षों में प्रदेश में 405 तेंदुए की मृत्यु हुई जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत तेंदुआ का अवैध शिकार किया गया।
वहीं सेंटर फार वाइल्डलाइफ स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार तेंदुआ की आबादी में विगत कुछ वर्षों में 90% तक की कमी आई है। उन्होंने बताया कि 30 जुलाई, 2021 को दस्तावेजों तथा कोर्ट के आदेश के साथ एक अभ्यावेदन चीफ कंजरवेटर आफ फॉरेस्ट मध्य प्रदेश को भेजा गया था। इसके बाद एक रिमाइंडर भी भेजा गया था परंतु आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.