श्रीमती शिखानशु सोनी को संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, सागर संभाग के आदेश से माध्यमिक शिक्षक के पद पर दिनाँक 6/11/2021 को शासकीय हाई स्कूल बराना, जिला टीकमगढ़ में नियुक्ति प्रदान की गई थी। नियुक्ति आदेश के पालन में श्रीमती सोनी के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में दिनाँक 08/11/21 को उपस्थिति दी गई थी। तत्पश्चात उन्हें पदांकित संस्था के संकुल केंद्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बम्होरी कला के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था। दिनाँक 09/11/21 को श्रीमती सोनी द्वारा विद्यालय में उपस्थिति देकर कार्य प्रारंभ कर दिया गया था।
अचानक दिनाँक 24/11/2021 को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा श्रीमती सोनी की विद्यालय में उपस्थिति इस आधार पर निरस्त कर दी गई कि उनका जाति प्रमाणपत्र उत्तरप्रदेश राज्य का है। श्रीमती सोनी द्वारा उपस्थिति निरस्त करने वाले आदेश दिनाँक 24/11/21 को उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष चुनौती दी गई थी। उनकी ओर से उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी के कोर्ट के समक्ष तर्क के अनुसार, श्रीमती सोनी द्वारा यद्यपि व्यापम की अर्हता परीक्षा माध्यमिक शिक्षक अंग्रेजी के लिए ओबीसी, गेस्ट के कोटे से उत्तीर्ण की गई थी। परंतु, उनके प्राप्तांक अनारक्षित श्रेणी के अंतिम व्यक्ति से ज्यादा थे।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय विभाग की आपत्ति के समय, श्रीमती सोनी के द्वारा अंको के आधार पर, अभ्यावेदन देकर उनका चयन अनारक्षित श्रेणी में करने का निवेदन किया गया था। अभ्यावेदन स्वीकार कर उनका चयन अनारक्षित श्रेणी में कर माध्यमिक शिक्षक के पद पर की गई थी।
अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, श्रीमती सोनी का चयन एवं नियुक्ति मेरिट के आधार पर किया गया था न की आरक्षण के आधार पर। उपरोक्त परिस्थिति में, जाति प्रमाणपत्र के आधार पर, जॉइनिंग निरस्त करना विधि विरुद्ध है।
उच्च न्यायालय जबलपुर ने तर्कों से सहमत होकर, विभाग, सहित संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर एवं डीईओ टीकमगढ़ को नोटिस जारी कर आदेश दिनाँक 24/11/2021 को स्टे कर, श्रीमती सोनी को माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्य करने की अनुमति प्रदान की है। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.