मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 49 के अनुसार कोई भी व्यक्ति या भूमि स्वामी किसी भी राजस्व आदेश के खिलाफ अपील दर्ज कर सकता है या कोई पक्षकार किसी आदेश का संहिता की धारा 50 के अनुसार पुनः निरीक्षण के लिए आवेदन कर सकता है।
पुनः निरीक्षण राजस्व के कौन-कौन अधिकारी कर सकते हैं:-
पुनः निरीक्षण के करने का अधिकार सिर्फ राजस्व मण्डल, आयुक्त, कलेक्टर, बंदोबस्त आयुक्त एवं बंदोबस्त अधिकारी को हैं।
नोट:- कोई भी उपखण्ड अधिकारी(SDO), तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार आदि को पुनः निरीक्षण का अधिकार प्राप्त नहीं है।
पुनः निरीक्षण एवं अपील लंबित मामलों में आदेशों को कब तक एवं किस अधिकारी द्वारा रोका जा सकता है जानिए।
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 52 की परिभाषा:-
उक्त धारा आदेशों के निष्पादन (पूरा) पर रोक लगाये जाने के बारे में प्रावधान करती हैं। कोई भी आदेश के निष्पादन पर दो ही अधिकारी रोक लगा सकते हैं:-
1. ऐसा अधिकारी वह स्वयं जिसके द्वारा आदेश पारित किया गया है।
2. वह राजस्व अधिकारी या मण्डल जिसके द्वारा अपील की सुनवाई या पुनः निरीक्षण किया जा रहा है।
कोई भी राजस्व अधिकारी किसी भी आदेश को एक बार में तीन माह से अधिक अवधि के लिए नहीं रोक सकता है।
किसी मामले के पक्षकार नहीं होने पर उसे किसी भी हाल में स्टे ऑर्डर नहीं दिया जा सकता है【अशोक कुमार बनाम राजेंद्र सिंह】।
अतः हम कह सकते हैं कि संहिता की धारा 52 उन आदेश के निष्पादन पर रोक लगती है जो अपील या पुनः निरीक्षण के लिए लंबित है। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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