प्रत्येक व्यक्ति की अपनी भूमि की सीमा निर्धारित की गई है एवं वह उतनी ही भूमि का उपयोग कर सकता है जितनी उसे आधिकारिक तौर पर प्राप्त होती है। सभी भूमि स्वामी के अपनी-अपनी भूमि के नक्शे, योजना चित्र एवं दस्तावेज तैयार किये जाते हैं। जब कोई राजस्व अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, पटवारी या नगर सर्वेक्षक या पुनः निरीक्षण करता है तब भू धारक का कर्तव्य हैं कि वह उपर्युक्त अधिकारी को संबंधित जानकारी उपलब्ध कराए एवं निरीक्षण में सहयोग प्रदान करे।
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 120 की परिभाषा:-
कोई भी भूमि स्वामी जो ग्रामीण या नगर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की भूमि का मालिकाना हक रखता है उससे यह अपेक्षा की जाती है कि किसी पुनः निरीक्षण के समय भूमि से संबंधित सभी अधिकार प्राप्त दस्तावेज, नक्शा, योजना चित्र आदि को निरीक्षण करने वाले राजस्व अधिकारी, निरीक्षक, पटवारी या नगर सर्वेक्षक को बताए एवं उपर्युक्त अधिकारियों का निरीक्षण में सहयोग प्रदान करे।
नोट:- अगर कोई भू स्वामी नक्शा नहीं बताता है, भूमि संबंधित दस्तावेज नहीं देता है एवं योजना चित्र की रिपोर्ट नहीं देता है वह मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 120 का उल्लंघन करेगा।
भू धारक (स्वामी) को भूमि दस्तावेजों की प्रतिलिपि लेने का अधिकार:-
कोई भी भूमि स्वामी या आवेदनकर्ता को मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 256 के अनुसार निरीक्षण के बाद कभी भी नक्शे, भू-दस्तावेज,योजना चित्र आदि की समस्त प्रतिलिपियाँ जो भी फीस या भुगतान शर्त के बाद उपलब्ध करवाई जाएगी। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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