पड़ोसी द्वारा खेत पर कब्जा कर लेना कोई नई बात नहीं है। यह विवाद सदियों से चलते आ रहे हैं और कई बार गंभीर आपराधिक प्रकरणों का कारण बनते हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीड़ित किसान को कानून की जानकारी नहीं होती। उसकी अज्ञानता का सभी फायदा उठाते हैं।
ग्राम की समस्त भूमि का सीमांकन मध्यप्रदेश भू-संहिता, 1959 के अध्याय 10 की धारा 124 के अंतर्गत राजस्व अधिकारी द्वारा किया जाता है। कौन व्यक्ति कितनी जोत का अधिकार रखता है यह सीमा-चिन्ह एवं सर्वेक्षण चिन्ह को बनाएगा। ऐसे में कोई व्यक्ति अपनी जोत (खाते) से बढ़कर किसी अन्य जोत (खाते) में दोषपूर्ण कब्जा कर लेता है तब राजस्व अधिकारी अर्थात तहसीलदार, उपखण्ड अधिकारी(SDO),कलेक्टर आदि) ऐसे व्यक्ति को किस कानून के अंतर्गत हटा देगा जानिए।
मध्यप्रदेश भू-संहिता, 1959 की धारा 126 की परिभाषा:-
• किसी भूमि का सीमांकन राजस्व अधिकारी द्वारा किया जा चुका है, ऐसे में कोई व्यक्ति अपनी सीमा से अन्य की खाते(जोत) में अवैध कब्जा कर लेता है तब राजस्व अधिकारी ऐसे व्यक्ति को बेदखल कर सकता है।
• अगर किसी व्यक्ति को राजस्व अधिकारी द्वारा दोषपूर्ण कब्जा करने वाली भूमि से बेदखल कर दिया गया है तब ऐसे दोषी व्यक्ति एक वर्ष के भीतर सिविल न्यायालय में अपील कर सकता है।
• बेदखल व्यक्ति सिविल न्यायालय में अपील दायर करेगा तब वह किसी तहसीलदार या किसी भी राजस्व अधिकारी को पक्षकार नहीं बनाएगा। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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