राज्य सरकार द्वारा निर्धन नागरिकों को लीज पट्टा पर या भूमिहीन व्यक्ति को शासकीय योजनाओं के अंतर्गत भूमि आवंटन करती है। ऐसी भूमि आवास योजनाओं के अंतर्गत या फिर कृषि कार्य के लिए भी दी जाती है। कई बार लीज अथवा पट्टे की जमीन पर या फिर आवास योजना के तहत मिले घर/ प्लॉट पर पहले से ही कब्जा होता है। हितग्राही को केवल दस्तावेजों में आवंटन मिल पाता है। इस प्रकार के कब्जे से मुक्ति के लिए किस कानून के तहत और किस अधिकारी के पास आवेदन करना चाहिए। हम बताते हैं:-
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 250 (ख) की परिभाषा
• किसी व्यक्ति को सरकार की किसी वितरण या योजनाओं में आवंटन के अंतर्गत भूमि पट्टे पर दी गई है एवं उस व्यक्ति को सरकार द्वारा वितरण भूमि का कब्जा नहीं मिला है तब ऐसी भूमि का कब्जा पाने के लिए वह तहसीलदार को आवेदन करेगा।
• तहसीलदार का कर्त्तव्य होगा कि वह तत्काल भूमि खाली करने का आदेश देगा जो उस भूमि पर अवैध कब्जा बनाए हुए हैं। अगर वह व्यक्ति आदेश के बाद भी कब्जा नहीं हटाता है तब तहसीलदार पुलिस बल का प्रयोग कर सकता है भूमि खाली करवाने के लिए।
दण्ड का प्रावधान
धारा 250(ख) उपधारा 5 के अनुसार यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होगा एवं उपधारा 4 के अनुसार ऐसे अवैध कब्जा करने वाले व्यक्ति अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। या प्रतिदिन 100 रुपये के अतिरिक्त जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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