जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ पीठ ने मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त पंचायत विभाग, डीजीपी, संभागायुक्त रीवा, कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत, पुलिस अधीक्षक और ईओडब्ल्यू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि रीवा जिले की जनपद पंचायत को बिना ऑडिट रिपोर्ट के ₹130000000 की ग्रांट क्यों आवंटित की गई।
याचिकाकर्ता रीवा निवासी संजय कुमार पांडे की ओर से अधिवक्ता कौशलेश पांडे व आरपी द्विवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य सरकार ने आओ संवारे हमारे गांव याेजना के तहत 38 ग्राम पंचायतों के लिए गांगेव जनपद पंचायत को 13 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। यह राशि सीधे वेंडर के एकाउंट में ट्रांसफर की गई थी। गाइडलाइंस के अनुसार आडिट रिपोर्ट के बिना यह ग्रांट आवंटित नहीं की जा सकती। आरोप है कि जिला एवं जनपद पंचायत के अधिकारियों की मिलीभगत से राशि खर्च कर दी गई, जबकि कोई कार्य हुआ ही नहीं।
याचिकाकर्ता की शिकायत पर संभागायुक्त ने जांच कमेटी गठित की। कमेटी ने पाया कि फंड का गबन हुआ है। संभागायुक्त ने कलेक्टर को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि इस मामले में ईओडब्ल्यू सहित कई जगहों पर शिकायतें की गईं, लेकिन उचित कार्रवाई नहीं होने से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.