भोपाल। मध्यप्रदेश में आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच छोटी सी खटपट भी समाचार माध्यमों के लिए विषय वस्तु होती है परंतु IFS अफसरों की उठापटक पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन आप भारतीय वन सेवा के अफसरों के बीच चल रही पॉलिटिक्स भी सुर्खियों में आ रही है। शशि मलिक ने मोर्चा खोल दिया है। सिस्टम बनाने वालों की सिस्टम पर सवाल खड़ा हो गया है।
तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नियम विरुद्ध तबादले तो आए दिन होते रहते हैं लेकिन यह मामला भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के नियम विरुद्ध तबादले का है। CAT (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) ने शशि मालिक IFS के ट्रांसफर आर्डर को स्थगित कर दिया जो 14 फरवरी को जारी हुआ था। बड़ी बात यह है कि CAT ने मात्र 48 घंटे के भीतर ट्रांसफर आर्डर को स्टे कर दिया है।
तबादले पर तबादले, अब तबादले नहीं सहूंगा: शशि मलिक IFS
ग्वालियर सर्किल में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (APCCF) मलिक का कहना है कि 22 फरवरी 2022 को उनका मौजूदा पद पर एक साल होता, इससे पहले ही उनका तबादला कर दिया। आमतौर पर फॉरेस्ट में पदस्थापना के 6-8 महीने तो काम समझने में लगते हैं। यदि पहले ही तबादला हो जाएगा तो व्यक्ति काम कैसे करेगा। जब डीएफओ था, तब मेरे बच्चे किसी भी स्कूल में एक सेशन पूरा नहीं कर पाए। कब तक सामान ढोते रहेंगे। कहीं तो रुकना होगा।
शासन का फैसला उन्हें मानना चाहिए था: आरके गुप्ता PCCF
वन बल प्रमुख व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) आरके गुप्ता ने कहा कि मलिक को शासन का फैसला मानना चाहिए था। अब उन्होंने कैट से स्टे ले लिया है तो शासन आगे की प्रक्रिया अपनाएगा। एपीसीसीएफ (प्रशासन एक) आरके यादव ने गुरुवार को कैट का आदेश मिलने की पुष्टि की है।
CAT ने शशि मलिक IFS के ट्रांसफर को स्थगित क्यों किया
इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (कैडर रूल) 1966 में 28 जनवरी 2014 को संशोधन हुआ है। रूल 7 में कहा गया है कि ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसा जरूरी है। 2013 में टीएसआर सुब्रह्मण्यम एवं अन्य वर्सेज केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें तबादलों पर सिविल सर्विस बोर्ड बनाएं। इसी में ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्णय लें।
सुनवाई के दौरान कैट ने साफ कहा कि आईएफएस अफसर मलिक के मामले में 28 जनवरी 2014 को हुए सर्विस रूल में संशोधन के रूल का खुला उल्लंघन हुआ है। सर्विस बोर्ड की कोई अनुशंसा नहीं की गई। इसीलिए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए ट्रांसफर ऑर्डर पर स्टे दिया जाता है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 मई को होगी। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.