ग्वालियर। महल के विश्वासपात्र में से एक रहे सत्यदेव कटारे के पुत्र हेमंत कटारे, ज्योतिरादित्य सिंधिया से अलग होने की बात ना केवल 2020 का उप चुनाव हारे बल्कि हाईकोर्ट में चुनाव याचिका भी हार गए। दरअसल, हेमंत कटारे ने गलत तरीके से याचिका दाखिल कर दी थी, इसलिए सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से भाजपा में शामिल होने के बाद 2020 में भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। कमलनाथ ने सिंधिया का साथ छोड़कर कांग्रेस में बने रहने वाले हेमंत कटारे को कांग्रेस पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था जबकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से ओपीएस भदौरिया को मैदान में उतारा गया था। इस उपचुनाव में इनके अलावा 37 उम्मीदवार और थे।
चुनाव हारने के बाद हेमंत कटारे ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर खंडपीठ में चुनाव याचिका दायर की। इस याचिका को ग्वालियर खंडपीठ में स्थानातंरित किया गया। कटारे की ओर से तर्क दिया गया कि चुनाव में गड़बड़ी करके ओपीएस भदौरिया विजयी हुए हैं। भदौरिया का चुनाव निरस्त कर उन्हें विजयी घोषित किया जाए।
हेमंत कटारे की चुनाव याचिका में क्या गलती हुई थी
कोर्ट ने नोटिस जारी कर भदौरिया से जवाब मांगा। भदौरिया की ओर से अधिवक्ता कुशाग्र रघुवंशी ने तर्क दिया कि प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 52 के तहत चुनाव में जितने भी उम्मीदवार हैं, उन्हें इसमें प्रतिवादी बनाना चाहिए। इस याचिका में 37 उम्मीदवारों को प्रतिवादी नहीं बनाते हुए सिर्फ विजयी उम्मीदवार को प्रतिवादी बनाया गया है। इस कारण धारा 86 के तहत इस तरह की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
हेमंत कटारे ने स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी
भदौरिया की इस आपत्ति के बाद हेमंत कटारे ने याचिका में बदलाव के लिए कोर्ट में आवेदन पेश किया। कोविड-19 के चलते ज्यादा प्रत्याशियों को प्रतिवादी नहीं बनाया था, लेकिन अब सभी उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी जाए। स्वयं को विजयी घोषित करने वाली प्रार्थना को वापस लेना चाहते हैं। इस आवेदन पर आपत्ति करते हुए अधिवक्ता रघुवंशी ने तर्क दिया कि एक बार याचिका दायर होने के बाद उसमें बदलाव का प्रविधान नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.